इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य, बनी टास्क फोर्स
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को रफ्तार देने के लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। यह ऐसी परियोजनाओं की पहचान करेगी जिन पर 100 लाख करोड़ का खर्च होना है। सरकार ने पांच टिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए साल 2024-25 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ की राशि खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
टास्क फोर्स की अध्यक्षता वित्त मंत्रलय में आर्थिक मामलों के सचिव को सौंपी गई है। यह टास्क फोर्स एक ‘नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन’ का खाका तैयार करेगी। पाइपलाइन में शामिल परियोजनाओं पर ही इस राशि का निवेश किया जाएगा। इनमें 100 करोड़ रुपये की लागत वाली ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को जगह मिलेगी। टास्क फोर्स में विभिन्न मंत्रलयों के सचिवों, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और नीति आयोग के सीईओ को बतौर सदस्य शामिल किया गया है।
वरिष्ठ नौकरशाहों की यह टीम परियोजनाओं की टेक्निकल संभावनाओं और वित्तीय व आर्थिक वाएबिलिटी की पहचान करेगी। इसके तहत ऐसी परियोजनाओं का चयन किया जाएगा जिन्हें साल 2019-20 में शुरू किया जा सकता है। साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर 2024-25 तक की अवधि में शामिल हो सकने योग्य परियोजनाओं की पहचान की जाएगी। इससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की एक पाइपलाइन तैयार की जा सकेगी।
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से संबोधन में पांच साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। इसमें सामाजिक और आर्थिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों तरह की परियोजनाएं शामिल होंगी।
यह बताएगा टास्क फोर्स
टास्क फोर्स का गठन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया है और यह 2019-20 में शुरू की जा सकने वाली परियोजनाओं की पहचान वाली अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर तक सौंप देगी। शेष अवधि की परियोजनाओं के लिए अगली रिपोर्ट दिसंबर के अंत तक सौंपेगी।
सरकार का अनुमान
सरकार का अनुमान है कि 2024-25 तक पांच टिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर तब तक 1.4 टिलियन डॉलर यानी 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। 2008-2017 के दस वर्ष की अवधि में भारत ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करीब 1.1 टिलियन डॉलर का निवेश किया था।
क्यों महत्वपूर्ण है यह: वित्त मंत्रलय ने एक बयान में कहा है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर होने वाले निवेश में सालाना वृद्धि बड़ी चुनौती है। अगर ऐसा नहीं होगा तो देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी से समूचे इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रभावित होने की आशंका बनेगी।