साहब! आप काशीपुर आ जाओ, पूरा डिपो बेच खाएंगे

 रूट पर डयूटी की एवज में एक कंडक्टर से रिश्वत की डिमांड करते रोडवेज के काशीपुर डिपो के एजीएम का ऑडियो वॉयरल हो रहा है। यह ऑडियो क्लिप शुक्रवार को देहरादून में रोडवेज मुख्यालय तक भी पहुंची। क्लिप में यह भी जिक्र है कि काशीपुर डिपो को बेच खाएंगे। रोडवेज प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने हल्द्वानी के मंडलीय प्रबंधक को जांच करने एवं मंगलवार तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। प्रबंध निदेशक ने बताया है कि रिपोर्ट के आधार पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

रोडवेज मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, एक ऑडियो क्लिप वॉयरल होने की शिकायत पर प्राथमिक जांच कराई गई। आरोप है कि उक्त क्लिप में काशीपुर डिपो के मौजूदा एजीएम अनिल सैनी की किसी से मोबाइल पर बातचीत हो रही है। आरोप है कि अनिल सैनी दूसरी तरफ से बात कर रहे शख्स से रूट पर ड्यूटी लगाने के बदले रिश्वत की डिमांड कर रहे हैं। दूसरी तरफ से बात कर रहा शख्स, एजीएम को पहले पहुंचाई गई रकम की बात भी करता है व बताता है कि एक बार 50 रुपये दिए और दूसरी बार 100 रुपये। इस पर एजीएम उस पर नाराज होते हैं और कहते हैं कि महीने में जितने दिन चलते हो, उतने का पैसा देना होगा। इस बीच, दूसरा शख्स कहता है कि ‘साहब आप काशीपुर आ जाओ, पूरा डिपो बेच खाएंगे।Ó यह क्लिप सैनी के डिपो का चार्ज लेने से पहले ही बताई जा रही। सैनी छह महीने पूर्व ही डिपो एजीएम बनाए गए थे।

..सात महीने पुरानी है क्लिप

मुख्यालय सूत्रों की मानें तो क्लिप करीब सात महीने पुरानी है। यह क्लिप उस समय की है, जब अनिल सैनी हल्द्वानी मंडल के चेकिंग स्क्वॉयड में यातायात अधीक्षक पद पर तैनात थे। दूसरी तरफ से जो शख्स बात कर रहा है, वह कुमाऊं मंडल में परिवहन निगम में अनुबंध पर चल रही मैक्सी-कैब का संचालक बताया जा रहा। मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कैब संचालक रूट पर चेकिंग से बचने के लिए रिश्वत देते हैं, ताकि सात के बजाए नौ सवारी को बैठा सकें। इतना ही नहीं इनके विरुद्ध टिकट ना देने की शिकायतें भी हैं। हैरानी वाली बात ये है कि संचालक, सैनी को काशीपुर डिपो आने व डिपो बेच डालने की बात कह रहा और सैनी करीब एक माह बाद ही काशीपुर डिपो के एजीएम भी बनकर आ गए।

जमकर चल रहा भ्रष्टाचार

रोडवेज में भ्रष्टाचार का यह नया मामला नहीं है। डयूटी लगाने से लेकर रूट चेकिंग तक में भ्रष्टाचार की जमकर शिकायतें मिल रही हैं। बसों में बेटिकट व बिना लॉगबुक के माल ले जाने के मामले भी हैं। बावजूद इसके प्रबंधन कोई सख्त कदम उठाने को राजी नहीं।

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