नौसेना में शामिल हुई पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी, समंदर में भारत की पैठ हुई मजबूत
स्कार्पियन-क्लास की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) शनिवार को भारतीय नौसेना में शामिल हो गई है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) खुद मुंबई में नई पनडुब्बी की कमीशनिंग में पहुंचे. आईएनएस खंडेरी भारत की दूसरी स्कार्पियन-क्लास की मारक पनडुब्बी है, जिसे पी-17 शिवालिक क्लास के युद्धपोत के साथ नौसेना में शामिल किया गया है. आज ही रक्षामंत्री विमान वाहक ड्राइडॉक की भी आधारशिला रखेंगे.
इसके अलावा रक्षामंत्री आज भारत के कीव-स्तर के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर अरब सागर में पूरा दिन बिताएंगे. रक्षामंत्री समुद्र में शनिवार दोपहर बाद और रविवार को दोपहर पूर्व तक रहेंगे, वह मिसाइलों को दागने की क्षमता को देखने के अलावा नौसेना की सभी कार्रवाइयों का हिस्सा बनेंगे.
इस आईएनएस खंडेरी की कई खासियत है जो इसे देश मे मौजूद सबमरीन्स में से सबसे बेहतर और उन्नत बनाती है. आईएनएस (INS) खंडेरी को कई भागों में बांटा जा सकता है. सबसे पहले हम इसके बैटरी वाले सेक्शन यानी जहां से सबमरीन को मूव होने के लिए एनर्जी मिलती है.
आईएनएस खंडेरी आज के दौर में मौजूद सबसे एडवांस टेक्नलॉजी से लैस है. इसके भीतर 360 बैटरी सेल्स है.प्रत्येक बैटरी सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है. इसके भीतर दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन है.यही नही बल्कि इन्ही बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी 45 दिनों के सफर पर जा सकता है वो भी तब जब की उसके पास सभी सदस्य मौजूद है. इन्ही बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय करना पड़ता है. एक डाइव में भारत की इस अदृश्य शक्ति को ढाई दिन तक लग जाये है, और ये सबमरीन 350 मीटर तक कि गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है. इसके टॉप स्पीड की बात करे तो ये 22 नोट्स है.
इस सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता इसके भीतर एडवांस वेपन है जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है. जैसे सबसे ज़रूरी इसके पीछे के हिस्से में magnetised propulsion मोटर जिसकी तकनीक को फ्रांस से लिया गया है,इसकी वजह से इसके अंदर से आने वाली आवाज़ को बाहर नही आने दिया जाता है, इससे दुश्मन के खोजी हवाई जहाज हो या सबमरीन या वॉर वेसल्स को इसकी जानकारी ठीक से नही मिल पातीहै, इससे वो सबमरीन को पकड़ में आये बिना हमला करना उचित होता है.
आईएनएस खंडेरी दो पेरिस्कोप से लैस है. आईएनएस खंडेरी के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात की जाए तो इस पर 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गयी है, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है. इसके अलावा इसमें एक वक्त में या तो अधिकतम 12 तोरपीडो आ सकते हैं या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39, इसके साथ ही माइंस भी ये सबमरीन बिछा सकती है. कौन कितनी संख्या में रखा जाएगा सबमरीन में, ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो कौनसे मिशन पर जाने वाला है. इस सबमरीन पर करीब 40 लोगों का क्रू एक साथ काम कर सकता है जिनमे से 8 से 9 अफसर होते हैं.
आईएनएस खंडेरी के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टेन दलबीर सिंह से भी बातचीत की और उन्होंने बताया कि कैसे आईएनएस खंडेरी हमारी नौसेना के लिए एक गर्व कि बात है.
– सबमरीन में जगह कम होने के कारण कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
– सबमरीन में किचन को गैली कहा जाता है.
– यहां खाना बनाने में भी काफी सावधानी बरतनी पड़ती है
– खाना बनाते वक्त यहां छौंका नहीं लगा सकते, क्योंकि धुएं को बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल पाता.
– इसके अलावा जवानों के सोने के लिए अलग-अलग कंपार्टमेंट होते हैं.
– 3-3 घंटे की ड्यूटी के बाद जवान 6 घंटे का ब्रेक लेते हैं.
– जहां तक हो सके पानी का इस्तेमाल कम किया जाता है.
कमांडिंग ऑफिसर ने बताया कि नौसेना के तमाम जवान देश की सुरक्षा को लेकर कोई भी कोताही बरतने के मूड में नहीं है. हालांकि इस बीच कभी-कभी परिवार की याद तो आती ह, लेकिन इस बात का कोई मलाल नहीं होता कि इनकी 45-45 दिनों अपने घरवालों से कोई बात नहीं हो पाती.
आपको बता दें कि इससे पहले भी आईएनएस खंडेरी ने देश को अपनी सेवाएं दी हैं. जब साल 1968 में आईएनएस खंडेरी को कमीशंड कराया गया था. साल 1971 की भारत पाकिस्तान की लड़ाई में इस सबमरीन को देश के पूर्वी सीबोर्ड पर तैनात किया गया था और फिर अक्टूबर 1989 में इसे डीकमीशंड कर दिया गया. अब इस सेकंड कलवरी क्लास सबमरीन को यही नाम दिया गया है.