प्रदूषण से जंग में ‘रावण’ भी देगा साथ, पर्यावरण संरक्षण की नजीर करेगा पेश

दशहरा पर रावण, कुंभकरण व मेघनाद का पुतला दहन इस बार पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों की भी नजीर बनेगा। सामान्य पटाखों की जगह दिल्ली में ग्रीन पटाखों के ही इस्तेमाल के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बीच कई रामलीला समितियों ने पुतला दहन में पटाखों के इस्तेमाल से परहेज का फैसला लिया है।

लालकिला मैदान में आयोजित होने वाली प्रसिद्ध दो रामलीलाओं लवकुश व श्रीधार्मिक लीला समिति मंगलवार को पुतला दहन में पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

ग्रीन पटाखों का भी बहिष्कार

लवकुश लीला के मंत्री अजरुन कुमार ने बताया कि पुतलों में प्रतिवर्ष 20 हजार पटाखे लगाए जाते थे। जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता था। इस बार पुतलों में लगाने के लिए चार हजार के करीब पटाखों की खरीदारी हुई थी, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए अब ग्रीन पटाखों का भी बहिष्कार किया गया है। ऐसे में बिना पटाखों के ही पुतलों का दहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का फैसला इसलिए लिया गया है ताकि इस मंच से लोगों के बीच में पर्यावरण को बचाने का संदेश पहुंच सके और दीवाली पर वे पटाखों का बहिष्कार करें।

पुतलों में पटाखों का पूरी तरह से बहिष्कार 

वहीं, श्रीधार्मिक लीला के प्रचार मंत्री रवि जैन ने बताया कि पुतलों में पटाखों का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया है। नवश्रीधार्मिक लीला कमेटी के प्रचार मंत्री राहुल ने बताया कि इस बार पुतलों में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया गया है। ताकि इनके दहन से राजधानी में अधिक प्रदूषण न हो। बता दें कि पिछले वर्ष रावण दहन में पटाखों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए दीपावली के ऐन वक्त पर सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य बिकने वाले पटाखों पर रोक लगा दी थी। इसकी जगह कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल का आदेश दिया था।

तकनीक का भी लिया जाएगा सहारा

रामलीला के आयोजकों ने बताया कि रावण के जलाने के दौरान तकनीक का भी सहारा लिया गया है। जिस समय पुतलों का दहन होगा उस समय निकली पटाखों की रिकॉर्डेड आवाज को चलाया जाएगा। साथ ही एक बड़ी स्क्रीन पर भी जलते हुए पुतलों की तस्वीर दिखेगी। इससे लोगों को यह भी पता चलेगा कि पटाखों की आवाज पुतलों से ही आ रही है।

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