बनारस कांग्रेस को रास नहीं आ रहा शीर्ष नेतृत्व का निर्णय, प्रदेश की तर्ज पर नगर व जिला संगठन की घोषणा जल्द
‘असंतोष के ज्वालामुखी’ पर प्रदेश कांग्रेस का गठन हुआ है। खासकर पूर्वांचल के बड़े नेताओं की उपेक्षा पार्टी की बड़ी कमजोरी साबित हो सकती है। अंदरखाने में हो रही बातें जो इशारा कर रही हैं उसमें यह स्पष्ट होने लगा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का प्रदेश कमेटी गठन को लेकर लिया गया निर्णय बनारस कांग्रेस को बिल्कुल रास नहीं आ रहा है।
फिलहाल, यह भी स्पष्ट हो चला है कि जिस तर्ज पर प्रदेश कांग्रेस का गठन हुआ है उसी तर्ज पर एक सप्ताह के अंदर जिला व नगर कमेटियों का भी गठन कर प्रदेश कांग्रेस की ओर से घोषणा कर दी जाएगी। इससे पहले 11 अक्टूबर को नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू पहुंच रहे हैं। परंपरानुसार इस मौके पर प्रदेश के दिग्गज नेताओं व आम कार्यकर्ताओं की मौजूदगी जरूरी है। इस दौरान स्पष्ट हो जाएगा कि नए प्रदेश अध्यक्ष को पार्टी के अंदर कितना समर्थन मिल रहा है क्योंकि पूर्व युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पंकज चौबे समेत कई नेताओं ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है।
पहले थे 500, अब 41 पदाधिकारी
प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव के तहत विधायक और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके अलावा चार उपाध्यक्षों, 12 महासचिवों तथा 24 सचिवों की भी नियुक्ति की गई है। पिछली कमेटी की अपेक्षा नई कमेटी करीब 10 गुना छोटी है। पिछली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जहां 500 पदाधिकारी थे वहीं इस बार यह संख्या 41 है।
प्रियंका की अध्यक्षता में सलाहकार समिति
प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जहां युवाओं को कमान मिली है। वहीं, 18 वरिष्ठ नेताओं की सलाहकार समिति भी गठित की गई है जिसकी अध्यक्षता स्वयं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी करेंगी। इसके अतिरिक्त 8 सदस्यीय एक रणनीति ग्रुप भी बनाया गया है जिसमें अनुभवी नेताओं को रखा गया है।
कमेटी में जातीय समावेशी फार्मूला
नई कमेटी में जातीय समावेशी फार्मूले को साधा गया है। करीब 45 फीसदी पिछड़ी जातियां, दलित आबादी करीब 20 फीसदी, मुस्लिम नेतृत्व करीब 15 फीसदी, करीब 20 फीसदी सवर्ण जातियों का प्रतिनिधित्व है। कमेटी में महिलाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है।