शरद पूर्णिमा की रात क्या करें, क्या न करें, जानिए 8 खास बातें…

दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चंद्रमा की चांदनी विशेष गुणकारी, श्रेष्ठ किरणों वाली और औषधियुक्त होती है। इस समयावधि की रातों में
शीतल चंद्रमा की चांदनी का लाभ उठाना चाहिए।
1. नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा को देखकर त्राटक करें ।
2 . जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गई हैं उन्हें पुष्ट करने के लिए चंद्रमा की चांदनी में रखी खीर रखना चाहिए।
3 . चंद्र देव,लक्ष्मी मां को भोग लगाकर वैद्यराज अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि ‘हमारी इन्द्रियों का तेज-ओज बढ़ाएं।’ तत्पश्चात् खीर का सेवन करना चाहिए।
4. शरद पूर्णिमा अस्थमा के लिए वरदान की रात होती है। रात को सोना नहीं चाहिए। रात भर रखी खीर का सेवन करने से दमे का दम निकल जाएगा।
5 . पूर्णिमा और अमावस्या पर चंद्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चंद्रमा इतने बड़े समुद्र में उथल-पुथल कर उसे कंपायमान कर देता है तो जरा सोचिए कि हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएं हैं, सप्त रंग हैं, उन पर चंद्रमा का कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा।
6.
इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
7 . शरद पूर्णिमा पर पूजा, मंत्र, भक्ति, उपवास, व्रत आदि करने से शरीर तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि आलोकित होती है।
8 . शरद पूर्णिमा पर अगर काम-विलास में लिप्त रहें तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी होती है।

Related Articles

Back to top button