सचिन का मानना है-पुरुषों को भी भावनाओं की इजहार करना चाहिए और आंसू दिखाने में कोई हर्ज नहीं है…..
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की। अपने इस पोस्ट में उन्होंने बताया कि आंसू दिखाने में कोई शर्म नहीं है। उन्होंने ये बात इसलिए कही क्योंकि पुरुषों का रोना उनकी कमजोरी की निशानी समझा जाता है। सचिन का मानना है कि अब इस मान्यता को खत्म कर देना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय पुरुष सप्ताह के दौरान सचिन ने एक ओपन लेटर में कहा कि जब चीजें ठीक न हों तो पुरुषों को मजबूती का दिखावा नहीं करना चाहिए।
सचिन ने अपने संदेश में लिखा कि आंसू दिखाने में कोई शर्म नहीं है तो उसे क्यों छुपाना जो सचमुच में आपको मजबूत बनाता है। अपने आंसूओं को क्यों छिपाना। हमें बचपन से ही यही सिखाया जाता है कि पुरुषों को रोना नहीं चाहिए। रोना पुरुषों को कमजोर बनाता है। मैं यही मानकर बड़ा हुआ और यही वजह है कि मैं आज यह लिख रहा हूं कि मुझे अहसास है कि मैं गलत था। मेरे दर्द और मेरे संघर्ष की वजह से ही मैं आज यहां तक पहुंचा हूं। यही मुझे एक बेहतर पुरुष बनाता है।
46 वर्ष के सचिन ने लिखा कि रोना कहीं से भी कमजोरी की निशानी नहीं है। अपना दर्द दिखाने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है, लेकिन ये बात पक्की है कि आप इससे ज्यादा बेहतर और मजबूत इंसान बनेंगे। पुरुषों को इस बात से आगे बढ़ना चाहिए कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आप कहीं भी हों या कोई भी हों मैं यही चाहता हूं कि आप ये हौसला दिखाएं।
उन्होंने लिखा कि कई बार ऐसा समय आता है जब समस्याओं का सामना करना पड़ता है और आंसू निकल आते हैं ये सामान्य सी बात है। ऐसा वक्त आता है जब अाप कहीं असफल हो जाते हैं तो आपका रोने का और अपने दिल को हल्का करने की इच्छा होती है। सचिन ने उस वक्त को याद किया जब वो क्रिकेट को अलविदा कह रहे थे और अपने फेयरवेल स्पीच के दौरान वो रो पड़े थे। मुझे पता था अब मैं मैदान पर कभी वापस नहीं आउंगा और ये सोचकर मेरा गला भर आया था। सब खत्म होने का भय मुझ पर हावी हो गया था। उस वक्त मेरे दिमाग में काफी कुछ चल रहा था और मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। मैंने दुनिया के सामने इसे आने दिया। सबसे अच्छी बात ये रही कि इसके बाद मुझे काफी हल्का महसूस हुआ। पूरी दुनिया के सामने अपनी भावनाओं का इजहार करके मुझे काफी सुकून मिला।