इस्‍लामिक स्‍टेट के चरमपंथी सीरिया और इराक में कर रहे तेजी से हमले, यूएन की चौंकाने वाली रिपोर्ट

इस्‍लामिक स्‍टेट के चरमपंथी सीरिया और इराक में तेजी से हमले कर रहे हैं। विशेषज्ञों के एक पैनल ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएस और आईएसआईएल दोनों देशों की सुरक्षा कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं। दोनों आतंकवादी समूहों को दुनिया के लिए खतरनाक बताया गया है। इस रिपोर्ट में आईएसआईएल द्वारा उत्पन्न वैश्विक खतरे को लेकर भी सचेत किया गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि आखिरी विद्रोही गढ़ इदलिब प्रांत में जहां सीरियाई बलों ने दिसंबर में एक आक्रामक हमला किया था, जो अल-कायदा से जुड़े समूहों पर हावी है।

पांच साल तक चला अभियान

बता दें कि अमेरिका और उसके सहयोगियों का आईएस के चंगुल वाले क्षेत्रों को आजाद कराने का अभियान पांच साल तक चला। इस अभियान में 100,000 से अधिक बम इस्तेमाल किए गए, जिसमें कई आतंकवादी और आम नागरिक मारे गए। आतंकवादी समूह पर जीत की घोषणा से एक दिन पूर्व ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया था कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी अब सीरिया के किसी भी क्षेत्र में मौजूद नहीं हैं। आईएस का अब सीरिया या इराक में किसी भी क्षेत्र पर कब्जा नहीं है, लेकिन वह अब भी इन दोनों देशों में आतंकवादी हमले कर रहा है।

आईएस ने बड़े पैमाने पर नरसंहार किया 

आईएस ने इलाके में अपने कब्जे के दौरान बड़े पैमाने पर नरसंहार किया और इनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर फैलाया। साल 2014 में इराक के सिंजार क्षेत्र में आतंक मचाने के दौरान उसने यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों महिलाओं और लड़कियों को बंधक बनाया। उनका यौन शोषण किया गया। इनमें से कई आज तक लापता हैं।

चंदे के धन से फल फूल रहा है अल कायदा 

अल-कायदा अपने शीर्ष पर रहने के दौरान आइएस दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन था। नवंबर, 2015 में जेनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी की रिपोर्ट में आइएस की कुल संपत्ति दो अरब डॉलर (करीब 1.32 खरब रुपये) आंकी गई थी। इसे सबसे अमीर आतंकी संगठन बताते हुए विभिन्न स्रोतों से हो रही कमाई का भी उल्लेख किया गया था। विदेशी संगठन और कुछ देश आइएस को चंदे के रूप में हर महीने करोड़ों रुपये मुहैया कराते हैं। वर्ष 2013 में खाड़ी देशों से ही आइएस को करीब 10 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। इसके लिए बाकायदा अभियान भी चलाए जाते हैं। 34 हजार से 40 हजार बैरल तक कच्चा तेल बेचकर आइएस प्रतिदिन 10 करोड़ रुपये की कमाई करता है।

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