ट्रंप और तालिबान नेता के बीच फोन पर हुई थी बातचीत, कुछ देर बाद ही आतंकी संगठन ने किया हमला
अफगानिस्तान में स्थायी शांति बहाली के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ समझौता चार दिन में ही पटरी से उतर गया। तालिबान ने मंगलवार रात कुंदुज और उरुजगान जिले में हमला कर अफगान सेना और पुलिस के 20 जवानों को मौत के घाट उतार दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बीच फोन पर हुई बातचीत के कुछ ही समय बाद आतंकी संगठन ने इस वारदात को अंजाम दिया। जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने बरादर से हुई बातचीत को काफी अच्छा बताया था। हमले के जवाब में बौखलाए अमेरिका ने बुधवार को दक्षिण हेलमंद प्रांत में आतंकी संगठन के ठिकानों पर कई हवाई हमले किए।
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं के प्रवक्ता सनी लेगेट ने एक ट्वीट में कहा, ‘हवाई हमले आत्मरक्षा में किए गए हैं ताकि तालिबानी हमलों को रोका जा सके। पिछले 11 दिनों में अमेरिका की ओर से किया गया यह पहला हमला है। समझौते में तालिबान नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि वे हिंसा कम करेंगे और हमले नहीं बढ़ाएंगे। हम तालिबान से अपील करते हैं कि वे अफगानिस्तान में हमले बंद करें और अपने वादे को निभाए। हम पहले ही यह बात कह चुके हैं कि जरूरत पड़ने पर हम अपने सहयोगी की मदद करेंगे। हम इलाके में शांति स्थापना को लेकर प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हमारे ऊपर अफगान सेना की सुरक्षा का भी जिम्मा है।
अफगानिस्तान और अमेरिका समझौते का पालन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि तालिबान लोगों की शांति की इच्छा को सिरे से नकार रहा है।’ सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि तालिबान ने मंगलवार को अकेले हेलमंद स्थित चौकियों पर 43 हमले किए थे।
प्रांतीय परिषद के सदस्य सफीउल्ला अमीरी के मुताबिक, तालिबान ने कुंदुज के इमाम साहिब जिले में तीन सैन्य चौकियों पर हमला किया। इस हमले में दस सैनिकों और चार पुलिस कर्मियों की मौत हो गई। इसके अलावा तालिबान ने उरुजगान प्रांत में पुलिस पर बड़ा हमला किया। प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता जरगई इबादी ने बताया कि, दुर्भाग्य से इस हमले में छह पुलिसवाले मारे गए और सात घायल हो गए।
अफगानिस्तान में स्थायी शांति लाने के लिए बीते शनिवार को कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान ने एक समझौता हुआ था। इसके तहत अमेरिका को 130 दिनों के अंदर अफगानिस्तान में अपने मौजूदा सैनिकों की संख्या 13 हजार से घटाकर 8,600 करनी है। अमेरिका ने 14 महीनों में अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने पर भी सहमति जताई है। समझौते में कहा गया है कि 10 मार्च को नार्वे में होने वाली बातचीत से पहले अफगान सरकार अपने 1000 कैदियों के बदले जेल में बंद पांच हजार आतंकियों को रिहा करेगी। लेकिन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने वार्ता से पहले आतंकियों को छोड़ने से साफ इन्कार कर दिया है। विशेषज्ञों को इस बात का अंदेशा है कि आतंकी संगठन द्वारा किए गए ताजा हमलों से बातचीत पटरी से उतर सकती है।