कोरोना वायरस से चिड़ियाघर के जीवों की डाइट का मेन्यू पर भी पड़ा असर, उपलब्ध नहीं हो पा रहा है मीट
मटन की आपूर्ति घटने से चिड़ियाघर के जीवों की डाइट का मेन्यू भी बदल गया है। इन दिनों लैपर्ड को चिकन से ही काम चलाना पड़ रहा है। मटन या अन्य जीवों का मीट उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सप्ताह में एक से दो दिन ही लैपर्ड को मटन दिया जा रहा है। वहीं, गर्मी को देखते हुए उनकी डाइट से फैट भी कम कर दिया गया है।
दून में मटन की आपूर्ति प्रभावित है। शहर में स्लॉटर हाउस न होने से मटन या बीफ नहीं मिल पा रहा है। इसका असर मालसी स्थित देहरादून जू के जीवों पर पड़ रहा है। हालांकि मगरमच्छ को तो चिकन ही दिया जाता है, लेकिन लैपर्ड का जरूर जायका बिगड़ गया है। उसे आजकल चिकन से ही काम चलाना पड़ रहा है। जू के निदेशक पीके पात्रो ने बताया कि पिछले कुछ समय से जू में मटन और बीफ की नियमित आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके चलते चिकन की डिमांड बढ़ा दी गई है। जबकि, शाकाहारी जीवों के खाने में कोई बदलाव नहीं आया है। उनके लिए मौसमी चारा और हरी पत्तियों की व्यवस्था की जा रही है। चिड़ियाघर के तमाम पशु-पक्षियों को उनकी डाइट के अनुसार ही आहार दिया जा रहा है। साथ ही पशु चिकित्सक भी समय-समय पर जीवों की स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं।
कोरोना को लेकर भी जू प्रबंधन सचेत जू के निदेशक पीके पात्रो ने बताया कि वन्य जीवों को भोजन और पानी सैनिटाइज कर दिया जा रहा है। साथ ही कर्मचारियों को भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा स्टाफ को वन्य जीवों से भी दूरी बनाए रखने को कहा गया है। इन दिनों स्टाफ भी काफी कम कर दिया गया है। जू के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश नौटियाल ने बताया कि जू में कर्मियों की संख्या एक चौथाई कर दी गई है। एनिमल फीड को तीन बार सैनिटाइज किया जा रहा है। बाड़ा कीपर ही भोजन देने जाते हैं अब बायो सिक्योरिटी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
त्रिस्तरीय सैनीटाइजेशन व्यवस्था जू में आने वाले कर्मचारियों को पहले गेट पर फिर जीवों के करीब जाने पर सैनिटाइज किया जाता है। इसके अलावा जीवों के भोजन के वाहन को सैनिटाइज करने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। वन्य जीवों को खिलाने से पूर्व इसे पोटेशियम परमेगनेट से धोकर सुखा दिया जाता है।