हर महिला को सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के प्रति रहना चाहिए सर्तक, जानें इन 8 जरूरी नियमों के बारे में
हर महिला के सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव (प्रजनन) हेल्थ से जुड़े कुछ अधिकार होते हैं. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह महिला दुनिया के किस हिस्से में रहती है, उसकी उम्र क्या है, वह किस जाति या धर्म की है. यही कारण है कि महिलाओं की सेहत पर विशेष ध्यान देने के मकसद से हर साल 28 मई को इंटरनेशनल विमिन्स हेल्थ डे मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 1987 में हुई थी. इस दिन का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर की महिलाओं की सेक्शुअल और प्रजनन सेहत और अधिकारों को बढ़ावा देना है.
महिलाओं की सेहत को अहमियत देना क्यों जरूरी है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तो सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को महिलाओं और पुरुष दोनों के मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी है. लेकिन जर्नल ऑफ विमिन्स हेल्थ में साल 2019 में प्रकाशित एक स्टडी की मानें तो अब भी ऐसी कई रुकावटें हैं, जिनकी वजह से महिलाओं को अपनी सेक्शुअल हेल्थ की जरूरत से जुड़ी सही काउंसलिंग और मदद नहीं मिल पाती.
इसके अलावा ऑनलाइन जर्नल ऑफ हेल्थ एंड अलाइड साइंसेज में साल 2011 में प्रकाशित एक पेपर में भी इस बात को रेखांकित किया गया है कि किस तरह गर्भपात और गर्भनिरोध का अधिकार, प्रजनन संबंधी विकल्प और जननांग के खतना से सुरक्षा जैसे अधिकार कई भारतीय महिलाओं के लिए सिर्फ कागज पर मौजूद हैं. हकीकत में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, जानकारी का अभाव और सामाजिक भेदभाव के कारण महिलाएं या तो अपने इन अधिकारों से वंचित हैं या फिर उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है.
बेहद जरूरी है कि महिलाएं अब अज्ञानता की इस बेड़ी को तोड़ें और अपने शरीर के बारे में तथ्यों के आधार पर सही फैसले लें. विमिन्स हेल्थ डे के मौके पर हम उन 8 जरूरी नियमों के बारे में बता रहे हैं, जिनका पालन हर महिला को करना चाहिए :
1. सही गाइनेकॉलजिस्ट की तलाश करें
गाइनेकॉलजिस्ट ही वह शख्स है, जिनसे महिलाएं अपनी सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव (प्रजनन) हेल्थ से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं के बारे में बात कर सकती हैं. फिर चाहे सेक्स के दौरान दर्द की दिक्कत हो, STD की समस्या हो या फिर मेनोपॉज से जुड़ी कोई बात. लिहाजा आप जहां रहती हैं, उसी इलाके में किसी अच्छे गाइनेकॉलजिस्ट की तलाश करें और जब भी सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी कोई जरूरत हो तो उनसे बात करने में संकोच महसूस न करें.
2. अपने शरीर को लेकर जागरुक बनें
बहुत सी महिलाओं को अपने ही शरीर को लेकर शर्मिंदगी महसूस होती है और बहुत सी महिलाओं ने तो कभी अपने ही जननांगों को देखा भी नहीं होगा. अगर आप भी उन महिलाओं में से हैं तो एक आइना लें और अपने शरीर पर एक नजर डालें. अपने शरीर के हर एक कर्व से प्यार करना सीखें, क्योंकि अगर आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो आपके शरीर का रंग-रूप, आकार और साइज कोई मायने नहीं रखता.
3. सुरक्षित सेक्स के नियम
सुरक्षित सेक्स का मतलब सिर्फ पार्टनर से कॉन्डम इस्तेमाल करने के लिए कहना या खुद ही फीमेल कॉन्डम का इस्तेमाल करने तक सीमित नहीं है. अपने गाइनेकॉलजिस्ट से संपर्क करें और आपके पास सेफ सेक्स से जुड़ी जितने भी विकल्प मौजूद हैं उनके बारे में जानें. फिर चाहे गर्भनिरोधक गोली हो या फिर इंट्रायूट्राइन डिवाइस (IUD).
4. STD की जांच करवाएं
आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानी STD सिर्फ पेनिट्रेटिव या वजाइनल सेक्स के जरिए ही नहीं बल्कि असुरक्षित ओरल सेक्स के जरिए भी फैल सकता है. लिहाजा पैप स्मियर टेस्ट करवाकर आप अपना और अपने पार्टनर दोनों का जीवन बचा सकती हैं.
5. अपने दर्द को गंभीरता से लें
बहुत सी महिलाएं दर्द को अपनी सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव सेहत का एक सामान्य सा हिस्सा मानती हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेतीं. लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा हो तो यह आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत को दुर्बल बना सकता है. लिहाजा अगर आपको पीरियड्स के दौरान या फिर सेक्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द हो रहा हो तो बिना देर किए अपने गाइनेकॉलजिस्ट से संपर्क करें.
6. भ्रम नहीं समाधान को चुनें
सेक्स या पीरियड्स के बारे में किसी भी तरह की गलतफहमी या भ्रम, खासकर प्रेगनेंसी से जुड़ी पर यकीन करने की बजाए, अपनी डॉक्टर से बात करें और अपने जीवन के बार में तथ्यों के आधार पर सही फैसला लें.
7. मेनोपॉज का मतलब अंत नहीं
जब कोई महिला मेनोपॉज पर पहुंच जाती है तो उसका प्रजनन सिस्टम भले ही धीमा हो जाए, लेकिन इस स्टेज पर आकर भी आपकी सेक्शुअल हेल्थ की अहमियत कम नहीं होती. मेनोपॉज के बाद भी अगर आप सेक्शुअली ऐक्टिव हैं तो अपनी सेक्शुअल हेल्थ को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है, वरना आपको STD होने का खतरा हो सकता है.
8. अपनी सहमति को महत्व दें
अपनी सहमति और विकल्पों को पूरी अहमियत दें. आप भले ही किसी तरह की कोई समस्या होने पर डॉक्टर, अपने पैरंट्स, जीवनसाथी या समाज के लोगों से सलाह-मशविरा करें, लेकिन आखिर में अपने शरीर के बारे में आपको क्या फैसला लेना है यह आपके हाथों में ही होना चाहिए.