रेलवे अधिकारियों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन में हुई मौतों का दिया आकड़ा, एक व्यक्ति को था कोरोना संक्रमण

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्या सभी सरकारों के लिए सबसे बड़ी परेशानी रही है. खासकर उन्हें घर पहुंचाने को लेकर अब तक काफी मशक्कत देखने को मिली है. राज्य सरकार ने बस की व्यवस्था की तो बॉर्डर के अंदर घुसने को लेकर परेशानी हुई और अगर मजदूरों ने पैदल जाने की कोशिश की तो कानून-व्यवस्था तो खराब हुई ही, साथ ही उनकी जान भी जोखिम में रही. आखिरकार केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाकर इन मजदूरों के घर जाने की व्यवस्था की. लेकिन लगभग 20 दिनों में ट्रेन यात्रा के दौरान 80 लोगों की मौत हो चुकी है.

रेलवे अधिकारियों ने इस संबंध में एक डेटा शेयर करते हुए कहा, ‘अब तक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 80 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है. जिसमें एक व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है. वहीं 11 अन्य लोगों की मौत पहले से ग्रसित किसी अन्य बीमारी से हुई है.’ रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यह डेटा 9-27 मई के बीच का है.

गौरतलब है कि बीते दिनों में श्रमिक ट्रेनों के रास्ता भटकने की कई तरह की खबरें आईं हैं, जिसके बाद मजदूरों को लेकर चिंता बढ़ गई है. कई ट्रेनें ऐसी भी हैं, जो एक दिन का सफर चार या पांच दिन में तय कर रही हैं, जिसको लेकर लगातार मीडिया में रिपोर्ट्स छपी थीं.

इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से श्रमिक ट्रेनों में मजदूरों की परेशानियों के मसले पर रेलवे को नोटिस जारी किया गया था. मानवाधिकार आयोग की ओर से गुजरात, बिहार के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को भी नोटिस देकर जवाब मांगा गया है.

 

इसके अलावा ट्रेन में पानी की कमी, भूख और जरूरी सामान की कमी के कारण हो रही श्रमिकों की मौत या बीमारी को लेकर भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया है.

NHRC की ओर से जारी बयान में कुछ मामलों का जिक्र भी किया गया है, जिसमें मुजफ्फरपुर में हुई दो लोगों की मौत, दानापुर, सासाराम, गया, बेगूसराय और जहानाबाद में एक-एक मौत पर जवाब मांगा गया है. बयान में कहा गया कि इनकी मौत भूख की वजह से हुई थी, वहीं गुजरात के सूरत से निकली एक ट्रेन करीब नौ दिन के बाद बिहार में पहुंची थी.

गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस संकट के कारण लॉकडाउन लागू है. इसी वजह से करोड़ों प्रवासी मजदूर जहां थे, वहां ही फंस गए. इन्हें उनके गृह राज्य वापस पहुंचाने के लिए श्रमिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं. केंद्र के अनुसार, अबतक 3700 ट्रेन चल चुकी हैं और करीब 91 लाख मजदूरों को वापस पहुंचाया जा चुका है.

प्रवासी मजदूरों के संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई की थी. गुरुवार को सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया था कि प्रवासी मजदूरों से घर वापसी का कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा, फिर चाहे वो बस या फिर ट्रेन के जरिए ही क्यों ना हो.

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