पितृपक्ष में जरूर करें पितृ देव की यह आरती
इस समय पितृपक्ष चल रहे हैं। आप जानते ही होंगे इस दौरान पितृ को खुश करने के लिए बहुत से कार्य किये जाते हैं। वहीं उनका आशीर्वाद पाने के लिए भी कई प्रकार से तर्पण किये जाते हैं। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं पितृपक्ष की आरती, जिसे पितृ पक्ष में जरूर पढ़ना, सुनना, गाना चाहिए।
पितृ देव की आरती:
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि:।।
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज:।।।
इस आरती का अर्थ:
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी ।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी ।।
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे ।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे ।। जय।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी ।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी ।। जय।।
देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई ।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई ।। जय।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार ।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।। जय ।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी ।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी ।।