बिहार में तीन जज की बर्खास्तगी पर लगी मुहर, समस्त सेवांत बकाए व अन्य लाभों से रहेंगे वंचित
बिहार में निचली अदालत के तीन न्यायाधीशों की बर्खास्तगी पर मुहर लग गयी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस आशय की अधिसूचना (Notification) जारी कर दी है। सेवा से बर्खास्त किए गए तीनों न्यायाधीश समस्त सेवांत बकाए व अन्य लाभों (reimbursement and other benefits) से वंचित रहेंगे।
ये तीन न्यायाधीश हुए बर्खास्त
जिन न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की अधिसूचना जारी हुई है उनमें समस्तीपुर परिवार न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायधीश हरिनिवास गुप्ता, तदर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश (अररिया) जितेंद्र नाथ सिंह व अररिया के अवर न्यायाधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोमल राम शामिल हैं। इनकी बर्खास्तगी 12 फरवरी, 2014 से ही प्रभावी होगी।
हाई कोर्ट ने बर्खास्तगी की अनुशंसा बरकरार रखा
फरवरी 2014 में बर्खास्तगी के खिलाफ तीनों न्यायिक पदाधिकारियों ने उच्च न्यालय (Patna High Court) में याचिका दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश के निर्णय के तहत इस प्रकरण में 22 मई, 2015 को पांच न्यायाधीशों की एक कमेटी गठित (comittee of five justice constituted) की गयी थी। तीन महीने बाद इस कमेटी ने अपना प्रतिवेदन (report) दिया। इसके बाद पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने सितंबर, 2020 में इनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा (recommendation) को बरकरार रखा।
पुलिस छापेमारी में महिलाओं के साथ मिले थे
जिन तीन न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त किया गया, उन्हें पुलिस छापेमारी (Raid by Politc) में नेपाल (Nepal) के एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति (compromising position) में पाया गया था। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। इस मामले में गृह मंत्रालय (Home Ministry) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पटना उच्च न्यायालय के तत्कालीन महानिबंधक को पत्र लिखा था।