महिलाओं का स्वावलंबन कितना सही
21/09/2024। आधुनिक समाज के लिए महिलाओं का स्वावलंबित होना बहुत जरूरी है। एक स्वावलंबी महिला अपनी आर्थिक स्थिति को स्थायी बनाने में सक्षम होती है और अपने परिवार के साथ स्वतंत्रता का अनुभव करती है। स्वावलंबी महिलाएं अपनी आजीविका के लिए आधार बनाने के साथ-साथ समाज में अपनी भूमिका को स्थायी बनाने में सक्षम होती हैं।
स्वावलंबी महिलाएं आर्थिक रूप से स्थिर होती हैं, जो उन्हें समाज में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त करने में मदद मिलती है। वे अपनी आर्थिक स्थिति को स्वतंत्रता से नियंत्रित कर सकती हैं और अपने परिवार के साथ एक समृद्ध जीवन जी सकती हैं। इसके अलावा, स्वावलंबी महिलाएं अपने परिवार के लिए एक सहारा बनती हैं जो उन्हें समृद्धि के मार्ग पर ले जाती हैं।
स्वावलंबी महिलाएं अपनी स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, और समाज में अपनी भूमिका को स्थायी बनाने में सक्षम होती हैं। वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकती हैं, शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं, और समाज में अपनी भूमिका को स्थायी बनाने में मदद कर सकती हैं।
समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए, महिलाओं को स्वावलंबी होना चाहिए। स्वावलंबी महिलाओं के बिना, समाज में उन्हें सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त करने में मुश्किल होती है। इसलिए, समाज को महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा देना चाहिए और उन्हें समर्थन प्रदान करना चाहिए ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को स्थायी बना सकें और समाज में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकें।
समाज में महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए, सरकारों को उन्हें आर्थिक सहायता, शिक्षा, और प्रशिक्षण के लिए मदद प्रदान करनी चाहिए। साथ ही, समाज में महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए, महिलाओं को अपनी आर्थिक स्थिति को स्वतंत्रता से नियंत्रित करने के लिए उनकी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
समस्याओं को हल करने के लिए, समाज में महिलाओं के स्वावलंबन को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। जिससे वो सहारा बन सके बल्कि सहारा ढूंढती ही न रहे।
महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में महिलाओं को आत्मरक्षा में आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है। इसके लिए जरूरी नहीं कि वे केवल नौकरी ही करें, बल्कि व्यावसायिक क्षेत्र में भी महिलाओं को अपनी भागीदारी बढ़ाये। समाज और देश की प्रगति के लिए हर महिला को अपराजिता बनना होगा। सामाजिक गतिविधियों में महिलाओं की सक्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।
सामाजिक संगठनों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है। समाज के नवनिर्माण में महिलाएं आगे आ चुकी हैं। इसमें उन्हें सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने का बीड़ा उठाना चाहिए और देश के नवनिर्माण के लिए आगे आना चाहिए।
शुरुआती दौर में आईटी सेक्टर में केवल पुरुष ही अपना कॅरियर बनाते थे, लेकिन अब इस क्षेत्र में महिलाएं आगे आयी हैं और देश-विदेश में नाम रोशन कर रही हैं। इससे साबित होता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकती हैं। लेकिन, इसके लिए सही समय पर सही लाइन का चयन किया जाना बेहद जरूरी है। इसमें परिवार और समाज को उनका सहयोग करना चाहिए। शिक्षा और स्वावलंबन के जरिये ‘आधी आबादी’ किसी भी मुकाम को हासिल कर सकती है।
समाज के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी काबिलियत के बल पर कामयाबी के झंडे फहरा रहीं हैं। देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ महिलाएं अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं। महिलाएं जितनी शिक्षित होंगी, उतना ही देश और समाज तरक्की करेगा। इसके लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बेहतरी के लिए महिलाओं को भी एक- दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
कृष्ण मोहन श्रीवास्तव, सहायक विभागाध्यक्ष (आधुनिक) गुरुकुल वैदिक संस्कृत महाविद्यालय, कौशाम्बी द्वारा स्वरचित।