पंचायत चुनाव: बैलेट पर प्रत्याशी का नाम नहीं, सिर्फ चुनाव चिह्न
इस चुनाव में भले ही करीब 70 हजार प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हों, मगर जब मतदान होगा तो मतपत्र पर इनके नाम नहीं होंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की। यह ऐसा चुनाव है, जिसमें बैलेट पेपर पर सिर्फ चुनाव चिह्न ही होते हैं। मतदाता इन्हीं चिह्नों के आधार पर अपने प्रत्याशी को चुनते हैं। पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने 144 चुनाव चिह्न तय किए हैं। प्रथम चरण के चुनाव के लिए शनिवार को इनका आवंटन होगा। हालांकि, प्रत्याशियों के सामने मतदाताओं की जुबां तक अपने चुनाव चिह्न पहुंचाना भी कम बड़ी चुनौती नहीं है।
हरिद्वार को छोड़ राज्य के अन्य जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ ही जांच पूरी हो चुकी है। अब प्रत्याशियों को इंतजार है चुनाव चिह्न आवंटन का। असल में इस चुनाव में मतपत्र पर प्रत्याशियों के नाम अंकित नहीं होते। सिर्फ दो खाने होते हैं एक में चुनाव चिह्न और दूसरे में इनके सामने मताधिकार के प्रयोग के लिए खाली जगह। यानी जो चुनाव चिह्न प्रत्याशियों को आवंटित किए जाते हैं, वही उनकी पहचान है। इन्हीं को देखकर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
आयोग ने प्रत्याशियों के लिए 144 चुनाव चिह्न निर्धारित किए हैं, जिन पर वे चुनाव लड़ेंगे। जिला पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान पदों के लिए सबसे ज्यादा 40-40 चुनाव चिह््न निर्धारित किए गए हैं। चुनाव चिह्नों का निर्धारण कर इनकी सूची पहले ही जिलों को भेजी जा चुकी है। पांच अक्टूबर को होने वाले प्रथम चरण के चुनाव के लिए चुनाव चिह्नों का आवंटन शनिवार को जिलों में होगा।
हफ्तेभर में प्रत्याशियों के सामने बड़ी चुनौती
पंचायत चुनाव में चुनाव चिह्न आवंटन होने के बाद प्रत्याशियों के सामने इन्हें जनता के बीच ले जाने की बड़ी चुनौती होती है। असल में चुनाव चिह्न आवंटन के बाद प्रत्याशियों को केवल सप्ताहभर का वक्त ही चुनाव प्रचार के लिए मिलता है। ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों के प्रत्याशियों को तो दिक्कत ज्यादा नहीं होती, मगर क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य पदों का क्षेत्र बड़ा होने के कारण प्रत्याशियों के सामने बड़ी चुनौती होती है।
चार वोट डालेगा एक मतदाता
पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए मतपत्र से चुनाव होता है। ऐसे में एक व्यक्ति चार वोट डालेगा। इसके बाद उपप्रधान के चुनाव भी प्रत्यक्ष मतदान होता है। अलबत्ता, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव क्षेत्र व जिला पंचायतों के सदस्य एकल संक्रमणीय पद्धति से करते हैं।
प्रत्याशियों के लिए चुनाव चिह्न
- पद——————————संख्या
- ग्राम पंचायत सदस्य———–18
- ग्राम प्रधान———————-40
- क्षेत्र पंचायत सदस्य————36
- जिला पंचायत सदस्य———-40
- उपप्रधान————————–10
जिपं अध्यक्ष पदों पर आरक्षण अगले हफ्ते
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण का निर्धारण जल्द कर दिया जाएगा। शासन ने इस सिलसिले में पंचायतीराज निदेशक से प्रस्ताव मांगे हैं। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते आरक्षण का निर्धारण कर इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी जाएगी।
शासन ने हाल में क्षेत्र पंचायत प्रमुख के पदों के लिए आरक्षण का निर्धारण कर दिया था, मगर जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर अभी तक आरक्षण तय नहीं हुआ है। असल में क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों का चुनाव ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य का चुनाव होने के बाद होता है। ऐसे में आरक्षण निर्धारण के लिए अभी काफी वक्त है। हालांकि, इस मसले को लेकर सियासत भी खूब गमाई रही। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप तक लगाए कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर अपने अनुरूप आरक्षण निर्धारण की जुगत में है।
लंबे इंतजार के बाद अब जिपं अध्यक्ष पदों पर आरक्षण निर्धारण के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार पंचायतीराज सचिव ने इस सिलसिले में निदेशक पंचायतीराज से प्रस्ताव मांगे हैं। सूत्रों ने बताया कि एक-दो दिन के भीतर प्रस्ताव मिल जाएंगे और फिर अगले आरक्षण तय कर इसकी सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी जाएगी।