ये है दुनिया का सबसे छोटा और अनोखा सरिसृप, इसका आकार देखकर रह जाएंगे हैरान

क्या आपको पता है दुनिया का सबसे छोटा सरिसृप कौन सा है. ये आपकी उंगली की नोक के बराबर होता है. यह एक गिरगिट है, जिसकी प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है. इसे बचाने के लिए साइंटिस्ट प्रयास कर रहे हैं. साथ ही इसका आकार देखकर हैरानी भी होती है. आइए जानते हैं कि ये गिरगिट कहां मिलता है, ये इतना छोटा क्यों है?

इस सरिसृप यानी गिरगिट का नाम है ब्रूकेशिया नाना यह गिरगिट की सबसे छोटी प्रजाति है. ये उत्तरी मैडगास्कर के वर्षा वनों में मिलता है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने इनके एक नर और एक मादा का अध्ययन किया. यह स्टडी रिपोर्ट 28 जनवरी को साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है.

इस गिरगिट के आकार को देख कर साइंटिस्ट हैरान थे. ब्रूकेशिया नाना  के नथूनों से लेकर क्लोआका तक इनकी कुल लंबाई मात्र 13.5 मिलीमीर होती है. यानी करीब आधा इंच. क्लोआका गिरगिटों के शरीर का वह छिद्र होता है जिसका उपयोग वो मल करने और प्रजनन के लिए करते हैं.

नर ब्रूकेशिया नाना मादा से भी छोटा होता है आकार में. मादा का आकार 19.2 मिलीमीटर होता है. यानी करीब पौन इंच. म्यूनिख के बावेरियन स्टेट कलेक्शन ऑफ जूलॉजी के हर्पैटोलॉजिस्ट फ्रैंक ग्लॉ कहते हैं कि यह बेहद हैरानी वाली बात है कि कैसे गिरगिट की इतनी छोटी प्रजाति है. जबकि कितने गिरगिट इससे कई गुना बड़े होते हैं.

फ्रैंक ग्लॉ कहते हैं कि ब्रूकेशिया नाना  का हर अंग मिनियेचर यानी छोटा नहीं होता. छिपकलियों और सांपों के पास एक जोड़ा रिप्रोडक्टिव ऑर्गन होता है. इसे हेमीपेनेस कहते हैं. ये ट्यूब के आकार के जेनाइटल होते हैं जो नर के शरीर में अंदर की तरफ घूमे रहते हैं. मादा से मिलन के समय ये बाहर निकलते हैं. 

ब्रूकेशिया नाना का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन 2.5 मिलीमीटर लंबा होता है. यानी इसके पूरे शरीर की 18.5 फीसदी लंबाई. ये एक हैरानी वाली बात है. क्योंकि इतने छोटे जीव का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन तुलनात्मक रूप से बड़ा है. क्योंकि आमतौर पर गिरगिट के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन 6.3 फीसदी से लेकर 32.9 फीसदी तक लंबे हो सकते हैं.

गिरगिट की 52 प्रजातियों में तो यह औसत 13.1 फीसदी लंबे ही होते हैं. जबकि, आमतौर पर कई जीवों का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन शरीर की तुलना में ज्यादा बड़े होते हैं. बार्नैकल्स  नाम के जीवों का रिप्रोडक्टिव ऑर्गन उसके शरीर से आठ गुना ज्यादा बड़ा होता है

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ पॉट्सडैम के हर्पैटोलॉजिस्ट मार्क शर्ज कहते हैं कि कई बार कुछ छोटे जीवों के जेनाइटल्स उनके शरीर के अनुपात में बड़े होते हैं. मार्क के अनुसार नर और मादा के बीच रिश्ता बनाने के लिए ऐसे जीवों के जेनाइटल का आकार डायमॉर्फिज्म की वजह से लंबे हो सकते हैं. ताकि अपने से आकार में बड़ी मादा के साथ प्रजनन की क्रिया करते समय छोटे नर को दिक्कत न हो. 

ब्रूकेशिया नाना की दो ही प्रजातियां अभी तक जानकारी में आई हैं. काफी अध्ययन करने के बाद भी साइंटिस्ट इन जीवों के सेक्सुएल डायनेमिक्स को समझ नहीं पाए हैं. ये भी पता नहीं चल पाया है कि इस जीव की प्रजाति विलुप्ति के किस कगार पर है. लेकिन मैडागास्कर में वर्षावनों में इंसानी गतिविधियों की वजह से इनकी प्रजाति को खतरा तो है.

साइंटिस्ट्स का मानना है कि इंसानी गतिविधियों की वजह से ब्रूकेशिया नाना प्रजाति के छोटे गिरगिट विलुप्त होने के स्तर पर आ चुके हैं. लेकिन इन्हें बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर मुहिम चलाने की जरूरत है. क्योंकि ये आसानी से दिखते नहीं, साथ ही हाथ में लेने पर फिसल कर निकल जाते हैं.

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