पुरुषों से 9 गुना ज्यादा हैं कोरोना संक्रमित महिलाओं को मरने का खतरा…
कोरोनावायरस की वजह होने वाली मौतों को लेकर एक नया और खतरनाक खुलासा हुआ है. जिन मरीजों को कोरोना का संक्रमण हो चुका है, उन्हें दिल के दौरे से मरने की आशंका ज्यादा है. यह खुलासा किया है स्वीडन के साइंटिस्ट्स ने. इस रिसर्च में सबसे भयावह बात महिलाओं के लिए कही गई है. इसके मुताबिक अगर कोई महिला कोरोना संक्रमित होती है तो उसे अस्पताल में इलाज के दौरान या रिकवरी के बाद हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है, साथ ही इसकी वजह से मौत की भी.
स्वीडन के शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना संक्रमित महिलाओं को दिल के दौरे से मरने की आशंका पुरुषों की तुलना में नौगुना ज्यादा है. यह स्टडी यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें 1946 कोरोना मरीजों की जांच की गई जो रिकवरी के बाद अस्पताल के बाहर दिल के दौरे से मरे. जबकि, 1080 कोरोना मरीजों की स्टडी की गई जो इलाज के दौरान अस्पताल में दिल के दौरे से मारे गए. यह स्टडी पिछले साल 1 जनवरी से जुलाई तक की है.
स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने कहा कि हमनें यह स्टडी उस समय की जब कोरोनावायरस अपने पीक पर था. जो लोग कोरोना से रिकवर होकर अस्पताल से घर चले गए थे, उनके 30 दिन के अंदर दिल के दौरे से मरने में 3.4 गुना बढ़ोतरी हुई. जबकि वहीं अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित लोगों की दिल के दौरे से मरने में 2.3 गुना बढ़ोतरी हुई.
यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के पीएचडी स्कॉलर और इस स्टडी को करने वाली टीम के सदस्य पेद्राम सुल्तानियन ने कहा कि हमारी स्टडी स्पष्ट तौर पर यह बताती है कि कोरोना वायरस का संक्रमण और दिल का दौरा बेहद घातक है. कोरोना संक्रमित दिल के मरीजों का खास ख्याल रखने की जरूरत है. ऐसे मरीजों के लिए हमेशा ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे उन्हें दिल का दौरा न पड़े.
पेद्राम सुल्तानियन का कहना है कि इसका सबसे बेहतरीन तरीका ये है कि कोरोना संक्रमित दिल के दौरे वाले मरीजों का लगातार हेल्थ चेकअप होना चाहिए. ताकि दिल का दौरा पड़ने की हर संभव आशंकाओं को टाला जा सके.
जब शोधकर्ताओं ने महामारी से पहले के दिल संबंधी बीमारियों के मरीजों को महामारी के बाद मरीजों की तुलना की तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. कोरोना संक्रमित दिल के दौरे से मरने वाले मरीजों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. कोरोना संक्रमित पुरुषों की दिल के दौरे से मरने की संख्या में 4.5 गुना इजाफा हुआ है जबकि महिलाओं में 9 गुना.
पिछले साल मार्च के महीने में यूरोपियन रिससिटेशन काउंसिल और स्वीडिश रिससिटेशन काउंसिल ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की थी. गाइडलाइन के मुताबिक अगर किसी को दिल का दौरा पड़ रहा है तो उसे मुंह से सांस देने की कोशिश न करें. बेहतर होगा कि सीने पर दबाव बनाए. ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा कम रहे.
इस स्टडी को करने वाले सीनियर ऑथर अराज रॉशानी ने कहा कि अगर कोई किसी दिल के मरीज को सीपीआर देता है तो वह प्राइमरी वेंटिलेशन का काम करता है. यह कोरोना के मामले में लागू नहीं होता. अगर दिल संबंधी बीमारी से ग्रसित कोरोना मरीज है तो उसके लिए हो सकता है कि सीपीआर भी जानलेवा हो जाए. क्योंकि हो सकता है कि वायरस की वजह से उसके फेफड़े कमजोर हो चुके हो.
अराज रॉशानी ने कहा कि महामारी के दौरान दिल संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों को संभालने, उनके बेहतर इलाज और दिल के दौरे से बचाने के लिए दुनिया भर के देशों की सरकारें सही मेडिकल कदम उठाएंगी. ताकि कोरोना संक्रमित लोगों की दिल संबंधी बीमारियों से मौत न हो