भौम प्रदोष व्रत रखने वालों पर भगवान शिव के साथ हनुमानजी की भी कृपा बनी रहती है
कृपा बनी रहती है
एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है तो वहीं त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि होने पर इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत रखने वालों पर भगवाएकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है तो वहीं त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि होने पर इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत रखने वालों पर भगवान शिव के साथ हनुमानजी की भी कृपा बनी रहती है। इस व्रत से गोदान के बराबर फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाता है। जब सूर्यास्त हो चुका हो और रात्रि प्रारंभ हो रही हो यानी दिन और रात के मिलन को प्रदोष काल कहा जाता है। इस काल में भगवान शिव की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस समय भगवान शिव की उपासना करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है। प्रदोष व्रत को सुख समृद्धि प्रदान करने वाला बताया गया है। प्रदोष व्रत में शाम के समय एक बार फिर स्नान कर भगवान शिव की उपासना करें। इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है। पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण करें। शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, धतूरा, भांग, शक्कर, शहद, फूल, फल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें। प्रदोष व्रत कथा सुनें और ऊं नम: शिवाय का जाप करें। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवता उनकी स्तुति करते हैं। हनुमान जी को भगवान शिव का रूद्रावतार माना जाता है, इसलिए मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत करने से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं। भौम प्रदोष व्रत में हनुमान जी को बूंदी के लड्डू अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें