नई शिक्षा नीति 2020 के स्वरूप में परिवर्तन, 10+2 फॉर्मैट की जगह लेगा 5+3+3+4 फॉर्मैट

दिल्ली। केंद्र सरकार ने नई शिक्षानीति के स्वरुप में कुछ अहम बदलाब किए हैं, जिसके अनुसार अब 10+2 के फोर्मेट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया हैं। इसके स्थान पर 5+3+3+4 प्रारूप में विद्यार्थियों को आगे शिक्षा प्रदान की जाएगी।

• नई शिक्षा निति 2020 के अनुसार शुरूआती पांच साल प्री-प्राइमरी स्कूल के लिए निर्धारित किए गए हैं। जिसमें से प्रथम और द्वतीय वर्ष की शिक्षा को फाउंडेशन स्टेज के रूप में शामिल किया जाएगा। शेष कक्षा 3 से 5 की शिक्षा को कक्षा के अनुसार बांटा जाएगा।

• कक्षा 6 से 8 की शिक्षा को मध्य चरण की शिक्षा के रूप चरण का नाम दिया गया हैं।

• शेष 4 वर्ष अर्थात कक्षा 9 से 12 माध्यमिक अवस्था के दौरान विज्ञान, वाणिज्य, कला आदि विषयों का कोई कठोर पालन नहीं किया जाएगा छात्र अपनी इक्षानुसार विषय चुन सकते हैं।

• कक्षा 10वीं का 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित होती रहेगी।

• सभी राज्य अपनी स्थानीय भाषा में पाठ्यक्रम तैयार करवाएंगे। बसतो को बोझ कम रहे इस प्रकार से पुस्तके उपलब्ध हो।

• स्कूल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी गठित की जाएगी जोकि स्कूलों की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में काम करेगी।

नई शिक्षा नीति में निम्न्लिखित स्टेज को शामिल किया गया है :-

फाउंडेशन स्टेज – पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा। इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे। इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।

प्रीप्रेटरी स्टेज – इस चरण में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई होगी। इस दौरान प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा।

मिडिल स्टेज – इसमें कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी तथा 11-14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। कक्षा छह से ही कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे।

सेकेंडरी स्टेज – कक्षा नौ से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा। विषयों को चुनने की आजादी भी होगी।

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें:-

नई शिक्षा नीति में पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराई जाएगी. इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। अन्य व विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से शुरू होगी।

स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11,11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। नई प्रणाली में प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और तीन साल की आंगनवाड़ी होगी। इसके तहत छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए तीन साली की प्री-प्राइमरी और पहली तथा दूसरी क्लास को रखा गया है।

अगले स्टेज में तीसरी, चौथी और पाँचवी क्लास को रखा गया है। इसके बाद माध्यमिक स्कूल याना 6-8 कक्षा में विषय का परिचय कराया जाएगा। सभी छात्र केवल तीसरी, पाँचवी और आठवी कक्षा में परीक्षा देंगे। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेगी।

नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा. इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है। मतलब आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं। उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।बैचलर डिग्री तीन या चार साल की होगी और मास्टर्स डिग्री एक या दो साल की होगी। बैचलर डिग्री में चार स्तर होंगे। पहले स्तर को पूरा करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे स्टार्ट को पूरा करने पर एडवांस्ड डिप्लोमा, तीसरे स्तर को पूरा करने पर बैचलर की डिग्री और चौथे स्तरको पूरा करने पर रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री पूरी करने का मौका होगा। मरस्टर्स की डिग्री के पश्चात एमफिल का कोर्स नहीं होगा। सीधे पीएचडी में दाखिला ले सकते हैं।

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