डर्ना ने दिया डरने और सीखने का सबक
16 सितंबर 2023। डेनियल तूफान के कारण लगातार दो दिन तक होने वाली बारिश ने लीबिया के डर्ना शहर के खाली पड़े डैम को पूरी तरह से भर दिया। पानी जो अपना रास्ता खोज ही लेता है उसने अपना रास्ता खोजा और अपने रास्ते में आने वाले डर्ना शहर को पूरी तरह से तबाह कर के रख दिया। इस बाढ़ में 40000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है जबकि डर्ना शहर की आबादी ही एक लाख से सवा लाख के बीच बताई जा रही है।
डर्ना शहर के घरों में पानी और कीचड़ भर गया। मिट्टी और मलबे से शव निकलते जा रहे हैं। सड़ते-गलते जा रहे हैं। अब वहां बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है। चारों तरफ टूटी इमारतें, कीचड़, कारों के ऊपर लदी कारें दिख रही हैं। किसी को नहीं पता कि कीचड़ में पैर रखेंगे तो नीचे किसी का शव मिलेगा।
डर्ना में यूगोस्लाविया की कंपनी ने 1970 में दो बांध बनवाए थे। एक बांध 75 मीटर ऊंचा था जिसकी क्षमता 1.80 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी थी। दूसरा बांध 45 मीटर ऊंचा था और उसकी क्षमता 15 लाख क्यूबिक मीटर पानी थी। हर क्यूबिक मीटर पानी में एक टन वजन होता है। दोनों डैम में करीब 2 करोड़ टन पानी था। डैनियल तूफान ने इतना पानी भर दिया कि पुराना और कमजोर होता बांध उसे संभाल नहीं पाया। बांध टूटा और डर्ना शहर को बर्बाद कर डाला।
सैटेलाइट तस्वीरें ये बताती हैं कि ये डैम खाली थे। पिछले 20 सालों से इनकी देखभाल नहीं हो रही थी। दिक्कत खाली बांध से नहीं बल्कि उसकी मरम्मत से थी। दोनों बांधों को कॉन्क्रीट से बनाया गया था। उनमें ग्लोरी होल भी था ताकि पानी ओवरफ्लो न हो। लेकिन इसमें लकड़ियां फंस गईं थीं और ये बंद हो चुका था। मेंटेनेंस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया जिस कारण इसमें कचरा जमा होता चला गया। इस वजह से तूफान के बाद हुई बारिश से बांध में तेजी से पानी भरता चला गया। तूफान आया तो पहले बड़ा डैम भरा। जब यह पानी की मात्रा संभाल नहीं पाया तो पानी ऊपर से बहने लगा। थोड़ी देर में वह टूट गया और एक साथ 1.80 करोड़ टन पानी नीचे की ओर बढ़ा। इतने पानी को नीचे वाले डैम में रोकने की ताकत नहीं थी। छोटा डैम भी टूट गया और पानी शहर को बर्बाद करने चल पड़ा।
पिछले साल इस डैम को लेकर एक रिपोर्ट भी छपी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि डर्ना वैली बेसिन को तुरंत संभालने की जरुरत है नहीं तो यहां किसी भी दिन बड़ी आपदा आएगी। सबको पता था कि बड़े बांध खतरनाक साबित हो सकते हैं। जरुरत थी उसके मेंटेनेंस की और बांधों में जमा कचरा साफ करने की ताकि वो सही तरीके से काम कर सकें। यदि पब्लिक वाटर कमीशन पिछले साल छपी रिपोर्ट पर ध्यान देकर बांध की सफाई करवा देता तो शायद इस भयंकर आपदा से बचा जा सकता था।