अगर नतीजे एग्जिट पोल के हिसाब से ही आए तो बीजेपी को फायदा और नुकसान दोनों
अगर बीजेपी हार जाती है तो दो बातें होंगी. पहली बात ये है कि ये छवि टूट जाएगी कि नरेन्द्र मोदी और बीजेपी को हराया नहीं जा सकता है. लेकिन बीजेपी को ये फायदा होगा कि उसका सोया हुआ का काडर जाग जाएगा. बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता जो अभी अति आत्मविश्वास से भरे हुए हैं, उन्हें थोड़ा सा झटका लगेगा. और फिर 2019 के लिए वो और ज्यादा मेहनत करेंगे. हालांकि राज्यों की हार वसुंधरा राजे सिंधिया, रमन सिंह, और शिवराज सिंह चौहान की हार है.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ये विधानसभा चुनाव, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए आखिरी मौका है. मई 2018 में कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए थे. जनवरी 2013 में राहुल गांधी… कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष बने थे. तब से अब तक 38 चुनाव हो चुके हैं. इनमें 2014 का लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं. इन 38 चुनावों में . कांग्रेस पार्टी 31 चुनाव हार चुकी है. इस हिसाब से देखें तो कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी का रिपोर्ट कार्ड काफी खराब है. लेकिन अगर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है तो राहुल गांधी का रिपोर्ट कार्ड भी सुधरेगा और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी.
चुनावी मौसम आते ही हमारे देश में हर बार अलग-अलग सर्वे की होड़ लग जाती है. कोई कहता है, कि बीजेपी को इतने वोट मिलेंगे, तो कोई कहता है, कि कांग्रेस को इतने वोट मिलेंगे. इन अलग-अलग Surveys को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जाता है. पहला होता है ओपिनियन पोल और दूसरा होता है एग्जिट पोल.
चुनाव की घोषणा के बाद जब वोटर्स से उनकी राय पूछी जाती है, तो उस सर्वे को ओपिनियन पोल कहते हैं. इस सर्वे में मुख्य रूप से सैंपल साइज़ पर जोर दिया जाता है, जिसका जितना बड़ा सैंपल साइज़ होता है, उसके नतीजे उतने ही सटीक होते हैं. जबकि, मतदान के दिन जब वोटर वोट डाल कर पोलिंग बूथ से निकलता है, तो सर्वे करने वाले उससे ये पूछते हैं, कि आपने कौन सी पार्टी को वोट दिया है या फिर आपकी नज़र में कौन सी पार्टी जीत सकती है. ऐसे सर्वे को Exit Poll कहते हैं. Exit Polls के साथ समस्या ये है कि वो वोटर के जवाब पर निर्भर होते हैं.. और अगर वोटर सही जवाब ना दे तो Exit Poll के नतीजे गलत हो जाते हैं.
यही वजह है कि Exit Polls अक्सर गलत साबित हो जाते हैं. 2015 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब ज्यादातर Exit Polls ने जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन को एनडीए से कड़ी टक्कर मिलने का अनुमान जताया था, लेकिन, 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन ने बीजेपी को हरा दिया था. 2016 में तमिलनाडु को लेकर तमाम Exit Polls बुरी तरह गलत साबित हुए थे. लगभग सभी Exit Polls ने अनुमान लगाया था, कि सत्ताधारी AIADMK हार जाएगी. लेकिन जनता ने जयललिता को फिर से मुख्यमंत्री बनाया और AIADMK 136 सीटें जीतकर सत्ता में वापस आ गई थी.
हालांकि, 2016 में पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए थे. और तब ज़्यादातर Exit Polls काफी हद तक सही साबित हुए थे. 2017 में Exit Poll ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार तो बनाई थी, लेकिन इतना बंपर बहुमत नहीं दिया था. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 403 में से 312 सीटें मिली थीं.
वैसे दुनिया में Exit Polls का इतिहास कई वर्षों पुराना है. पहली बार वर्ष 1967 में अमेरिका के Kentucky राज्य के Governor के चुनाव में Exit Poll की शुरूआत हुई थी, जबकि भारत में Exit Polls की शुरूआत पहली बार वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में हुई थी.
Exit Polls शॉर्टकट होते हैं. इस विश्लेषण के अंत में हम अपने दर्शकों को Exit Polls से जुड़ी एक वैधानिक चेतावनी देना चाहते हैं,,, और वो चेतावनी ये है कि आज जो आंकड़े Exit polls ने आपके सामने रखे हैं वो अंतिम नतीजे नहीं हैं.. Exit polls गलत भी साबित हो सकते हैं और इसका एक लंबा इतिहास भी रहा है.. इसलिए पूरे देश को 11 दिसंबर की सुबह का इंतज़ार करना होगा.. वो सुबह Final फैसले की सुबह होगी… और उस दिन आपका समय हमारे साथ सुरक्षित रहेगा… इसलिए 11 दिसंबर का Reminder लगा लीजिए.