धोनी को पैसे नहीं चुकाने पर आम्रपाली ग्रुप की बढ़ी मुश्किलें,
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को महेंद्र सिंह धोनी के साथ 2009 से 2016 के बीच हुए सभी व्यापारिक लेन-देन का ब्यौरा कल तक देने को कहा है. धोनी ने आम्रपाली बिल्डर्स से लगभग 39 करोड़ रुपए की वसूली के लिए अर्ज़ी दाखिल की है और उनका कहना है ब्रांड एंबेसडर के तौर पर तय रकम उन्हें नहीं मिली है. उधर, आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फोरेंसिक ऑडिटर्स की उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें बताया गया है कि कितने पैसों का गबन हुआ, किसका क्या रोल है और कैसे रकम की उगाही जा सकती है.
ग्रुप के खिलाफ जांच जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ आगे भी जांच जारी रखने का निर्देश दिया है. इससे पहले फोरेंसिक ऑडिटर ने अन्तरिम रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसके मुताबिक 330 करोड़ से ज़्यादा हेराफेरी हुई है. बैकों को भी मिलीभगत सामने आई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली के सीएमडी और दो निदेशकों को गिरफ्तार करने निर्देश दिया था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फॉरेंसिक एडिटर्स को सहयोग न करने पर करीब 200 कंपनी के लोगों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
कोर्ट ने दिखाई थी ऐसे सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने सीएमडी अनिल शर्मा की व्यक्तिगत प्रॉपर्टी के साथ-साथ दक्षिण दिल्ली स्थित बंगला जब्त करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि फोरेंसिक ऑडिटर 22 मार्च तक छानबीन खत्म करें. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को ये भी आदेश दिया था कि वो आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ लोगों से पैसा लेकर घर ना देने के झूठे वादे और धोखाधड़ी मामले की जांच करें.
संपत्ति अटैच करने के दिए थे निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के फाइव स्टार होटल, लग्जरी कारें, मॉल, FMCG कंपनी, फैक्टरी कॉरपोरेट ऑफिस और होमबॉयर्स के पैसे से खरीदी गई अन्य संपत्ति को अटैच करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल को ये संपत्ति बेचने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी और निदेशकों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ आपराधिक केस शुरू किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप से जुड़े लोगों को कहा था कि होम बायर्स के पैसे जो भी मिले हैं वो सुप्रीम कोर्ट के खाते में सोमवार तक जमा कर दें.
यह माना था ग्रुप ने
कोर्ट ने कहा कि जो ये नहीं करेगा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2015 से 2018 तक के बीच के कागजात सोमवार तक फोरेंसिक ऑडिटर्स को दिए जाए. सुप्रीम कोर्ट ने NBCC से भी पूछा था कि किस तरह आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट कैसे पूरे होंगे. आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा की ओर से माना गया था कि होम बॉयर्स के 2900 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों व अफसरों को बतौर गिफ्ट व अन्य तरीके से दिए गए.
यह भी निर्देश दिया था
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि तीनों निदेशक पुलिस निगरानी मे रहकर अपने ग्रुप की 46 कंपनियों के दस्तावेज़ों का केटलाग तैयार करके फ़ारेंसिक आडिटर्स को सौंपेंगे. कोर्ट ने कहा था कि तीनों निदेशक रोज़ सुबह 8 से शाम 6 बजे तक दस्तावेज़ों का केटलाग बनवाएंगे. इसके बाद पुलिस निगरानी मे नोएडा के सेक्टर-62 स्थित होटल में रहेंगे.इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीनों निदेशकों को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था.
दस्तावेज उपलब्ध कराने में नाकाम रहा था ग्रुप
तीनों निदेशकों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार फॉरेंसिक ऑडिट के लिए अपने प्रोजेक्टों से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध न कराने का आरोप है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के निदेशकों समेत कुछ अन्य अधिकारियों को कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी भेजा था. तीन दिनों तक नोएडा व दिल्ली पुलिस की हिरासत में रहने के दौरान फॉरेंसिक ऑडिट संबंधी सभी दस्तावेज एकत्र नहीं हो सके थे. पुलिस नेतीनों निदेशकों को कोर्ट में पेश कर संबंधित दस्तावेज एकत्र करने के लिए और समय मांगा था.इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीनों निदेशकों को फिर से 15 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. आम्रपाली समूह को फॉरेंसिक ऑडिट केलिए अपनी 46 कंपनियों के दस्तावेज ऑडिटर को उपलब्ध कराने हैं.
धोनी ने इसलिए ली कोर्ट की शरण
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रियल इस्टेट कंपनी आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जानकारी के मुताबिक धोनी आम्रपाली ग्रुप द्वारा उन्हें पेंटहाउस न दिए जाने और कंपनी द्वारा उनका नाम देनदारों की सूची में शामिल करने को लेकर कोर्ट पहुंचे हैं. महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी याचिका में लिखा है कि उन्होंने रांची में आम्रपाली सफारी में एक पेंटहाउस बुक किया था। साथ ही उन्होंने कहा है कि समूह के प्रबंधन ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया था, लेकिन कंपनी ने उन्हें धोखा दिया है. ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर जो बकाया राशि थी, उसका भी भुगतान नहीं किया है.