लखीमपुर के जंगलों से गायब हुआ चंदू बाघ का नेपाल में भी नहीं मिल पा रहा सुराग

पीलीभीत के जंगल पकड़कर चंदू बाघ को करीब डेढ़ साल पहले सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाकर दुधवा नेशनल पार्क का भादीताल इलाके में छोड़ा गया था। करीब दो महीने तक उसकी लोकेशन भी पार्क में मिलती रही। उसकी आखिरी लोकेशन नेपाल में शिवालिक पहाडिय़ों के बीच बार्डर से लगभग 60 किमी अंदर जंगल में मिली थी। इसके बाद में उसकी लोकेशन मिलनी बंद हो गई। उसको लोकेट करने के लिए भारत व नेपाल के अधिकारी कई महीने तक जंगल व पहाडिय़ों की खाक छानते रहे पर उसका कुछ पता नहीं चला।  

संयुक्त प्रयास के बाद भी नहीं मिली सफलता 

रेडियो कालर से लोकेशन न मिलने पर चंदू की निगरानी कर रहे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण दिल्ली को सूचित किया था, जिसके बाद नेपाल सरकार के माध्यम से वहां के वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ को अवगत कराया गया। दोनों देशों के वनकर्मियों व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने एंटीना के माध्यम से चंदू को ढ़ूढऩे की कोशिश की और काफी दिनों तक प्रयास किया, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परियोजना अधिकारी दाबीर हसन का कहना है कि चंदू को अभी मरा हुआ नहीं माना जा सकता है जब तक कि उसका कोई प्रमाण न मिल जाए। उन्होंने बताया कि चंदू की यूनिक आईडी भारत के पास है और अब उसे नेपाल को भी उपलब्ध करा दिया गया है। जब भी कोई बाघ गणना में आएगा, मरेगा या कोई खाल मिलेगी तो उसका मिलान चंदू की यूनिक आईडी से की जाएगी। आईडी से मिलान के बाद ही उसे मृत माना जा सकता है।

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