अमेरिकी प्रतिबंधों के पालन के लिए भारत अपनी आर्थिक मजबूती का बलिदान नहीं कर सकता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि भारत वैश्विक प्रतिबंधों का पालन करना चाहता है जिसमें वेनेजुएला और रूस पर लगाया गया अमेरिकी प्रतिबंध भी शामिल है। लेकिन, भारत को खुद भी अपनी आर्थिक मजबूती और नीतिगत हितों को बरकरार रखने की जरूरत है। अमेरिका ने इस साल जनवरी में वेनेजुएला की ऑयल इंडस्ट्री पर सबसे कठिन प्रतिबंध लगाया था। इस कदम से कई वैश्विक ग्राहक इससे दूर हो गए थे, लेकिन हेवी ऑयल के आपूर्तिकर्ताओं के कुछेक विकल्पों के कारण भारत की रिलायंस इंस्ट्रीज लिमिटेड रूस की कंपनी रोसनेफ्ट से वेनेजुएला के क्रूड ऑयल की खरीदारी करती रही है।
सीतारमण ने कहा कि भारत सरकार ने अमेरिका के सामने अपना नजरिया रख दिया है। उन्होंने कहा, ‘कुछ खास मुद्दे जो भारत के नीतिगत हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं, उन्हें लेकर अमेरिका को यह बात समझाई गई है कि भारत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का नीतिगत साझेदार है और आप चाहते हैं कि आपका नीतिगत साझेदार मजबूत हो, कमजोर नहीं। ‘
उन्होंने कहा कि हम अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी की कद्र करते हैं लेकिन हमें मजबूत अर्थव्यवस्था बनने की भी बराबर अनुमति चाहिए।
मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2019 में भारत के ग्रोथ के अनुमानों में कटौती की थी। दूसरी तरफ, अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध के कारण 2019 में वैश्विक ग्रोथ 2008-09 के आर्थिक संकट के बाद सबसे सुस्त रहने का अनुमान किया गया है।
भारत के जीडीपी की ग्रोथ अप्रैल और जून के दौरान 2013 के बाद से सबसे कमजोर रही है। सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज के जरिये घरेलू ग्रोथ को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। बैंकिंग सेक्टर के जरिये एक नई लोन योजना चलाई गई है जिसके तहत 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दिया गया है।