25 वर्षों से भारत में रहकर गौसेवा कर रही हैं जर्मनी की ये महिला, अब मिला पहला स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार

गौसेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने के लिए सुदेवी दासी को स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार के लिए चुना गया है। सुदेवी दासी मूल रूप से जर्मनी के बर्लिन शहर की निवासी हैं और इनका वास्तविक नाम फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग है। वह बीते 25 सालों से गो-सेवा कर रही हैं। वर्तमान में ये मथुरा में रहकर हज़ारों गो-धन की सेवा कर रही हैं। इन्हें गत वर्ष भारत सरकार की तरफ से देश के चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार पूर्व सांसद स्वामी ब्रह्मानंद के नाम पर इस वर्ष उनकी 125वीं जयंती-वर्ष से आरंभ किया जा रहा है। यह गो-सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले भारतीय और गैर-भारतीय नागरिकों को हर साल प्रदान किया जायेगा। इस तरह, सुदेवी दासी को पहला स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार दिया जा रहा है। इस पुरस्कार के तहत 10 हजार रुपये, ब्रोंज मैडल, स्टेच्यू, सनद और अंगवस्त्र प्रदान किया जाएगा।

आपको बता दें कि फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग का जन्म 02 मार्च, 1958 को जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ था। वर्ष 1978 में पर्यटन के मकसद से भारत आयी और फिर यहीं की होकर रह गईं। गत 41 वर्षों से यहाँ रहकर फ़्रेडरिक भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर रही हैं और पिछले 25 सालों से अनवरत गायों की देखरेख और उनकी सेवा के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं। इनके ऐसे प्रेरणादायी कार्य के लिए लोग इन्हें ‘बछड़ों की माँ’ कहते हैं और ये ब्रज सहित पूरे भारतवर्ष में ‘सुदेवी दासी’ या ‘सुदेवी माता’ के नाम से जानी जाती हैं।

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