इराक में गुपचुप तरीके से मिसाइलें छिपा रहा है ईरान, अमेरिकी ने जताई चिंता
अमेरिकी खुफिया और सैन्य अधिकारियों के अनुसार, इराक में ईरान लगातार माहौल खराब करता रहा है। ईरान वहां मध्य पूर्व में कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल करने के लिए गुप्त शस्त्रागार बना रहा है। यह जानकारी तब सामने आई जब अमेरिका ने अपने हितों जैसे तेल टैंकरों पर हमले आदि के उभरते हुए खतरों का मुकाबला करने के लिए मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति फिर से बढ़ाई है। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि तेल संयंत्रों और तेल के टैंकरों के हमले में ईरान का हाथ रहा है।
मई के बाद से ट्रंप प्रशासन ने इस क्षेत्र में लगभग 14,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है। मुख्य रूप से नौसेना के जहाजों और मिसाइल रक्षा प्रणालियों को। मगर, ईरान द्वारा इराक में मिसाइलों के भंडार के बारे में मिली नई खुफिया जानकारी इस बात का ताजा संकेत है कि मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति बढ़ाकर तेहरान को रोकने के ट्रंप प्रशासन के प्रयास काफी हद तक विफल रहे हैं।
खुफिया अधिकारियों ने कहा कि ईरानी मिसाइलों की वजह से इस्राइल और सऊदी अरब सहित इस क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों के लिए खतरा पैदा हो गया है, जो अमेरिकी सैनिकों की जान को भी खतरे में डाल सकता है। तेहरान मध्य पूर्व के देशों पर प्रहार कर छद्म युद्ध में लगा हुआ है। मगर, वह उन हमलों को कहां से किया जा रहा है, इसे छिपाकर हमले किए गए देशों की जवाबी कार्रवाई से बच रहा है।
अपनी सीमाओं के बाहर मिसाइलों का एक शस्त्रागार को बढ़ाने से ईरान की सरकार को फायदा होगा। ईरान पर यदि अमेरिका या इजराइल बमबारी करते थे, तो उसकी सेना इजराइल या खाड़ी देश के खिलाफ हमले के लिए इराक में छिपाई गई मिसाइलों का उपयोग कर सकती थी। खुफिया अधिकारी ईरान पर बैलिस्टिक मिसाइल के सटीक मॉडल के बारे में चर्चा नहीं करेंगे। मगर, छोटी दूरी की मिसाइलों की रेंज 600 मील की दूरी पर होती है, जिसका मतलब है कि बगदाद के बाहरी इलाके से एक गोलाबारी करने पर यरूशलेम तक हमला किया जा सकता है।