26 अगस्त को है राधाष्टमी, जानिए किस तरह हुई थी राधा की मृत्यु….
हर साल आने वाला राधाष्टमी का पर्व इस साल 26 अगस्त 2020 को मनाया जाने वाला है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे हुई थी राधा जी की मृत्यु. पुराणों के अनुसार राधा भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका थीं. बरसाने के साथ ही राधा अपना अधिक से अधिक समय वृंदावन में ही बिताती थीं. राधा ने जब कृष्ण को देखा तो वह बेसुध हो गई थी. कहा जाता है पहली बार उन्होंने श्रीकृष्ण को तब देखा था जब उनकी मां यशोदा ने उन्हें ओखले से बांध दिया था. इसके अलावा कुछ लोग कहते हैं कि वह पहली बार गोकुल अपने पिता वृषभानुजी के साथ आई थी तब श्रीकृष्ण को पहली बार देखा था. वहीं कई विद्वानों का ऐसा मानना है कि संकेत तीर्थ पर पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी और उसी के बाद दोनों को प्रेम हो गया था.
कहा जाता है श्रीकृष्ण और राधा विवाह करना चाहते थे लेकिन यशोदा और गर्गमुनि के समझने पर यह विवाह नहीं हो सका. उसके बाद श्रीकृष्ण गोकुल, वृंदावन को हमेशा के लिए छोड़कर मुथरा चले गए और मथुरा से द्वारिका. लेकिन इस दौरान भी वे कभी राधा को नहीं भूले और राधा भी श्रीकृष्ण को कभी नहीं भूली. कहा जाता है जब कृष्ण वृंदावन छोड़कर मथुरा चले गए, तब राधा के लिए उन्हें देखना और उनसे मिलना और दुर्लभ हो गया. राधा और कृष्ण दोनों का पुनर्मिलन कुरुक्षेत्र में कहा जाता है, जहां सूर्यग्रहण के अवसर पर द्वारिका से कृष्ण और वृंदावन से नंद के साथ राधा आई थीं. कहते हैं राधा केवल कृष्ण को देखने और उनसे मिलने ही नंद के साथ गई थीं और इस बात का जिक्र पुराणों में मिलता है.
वहीं इसके बाद राधा और श्रीकृष्ण की आखिरी मुलाकात द्वारिका में हुई थी. वहां से निकलने के बाद राधा एक जंगल के गांव में में रहने लगीं. वहीं अपने आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए और भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वे उनसे कुछ मांग लें, लेकिन राधा ने मना कर दिया. कहा जाता है कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वे आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना और सुनना चाहती हैं. उसके बाद श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे और उस समय श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई. कहा जाता है बांसुरी की धुन सुनते-सुनते एक दिन राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया.