NPS Investments: निवेश के लिए NPS है बेहतर ऑप्शन, जानिए इस स्कीम के पांच फायदे

राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) सरकार द्वारा संचालित निवेश योजना है। सब्सक्राइबर या तो पॉइंट ऑफ़ प्रेज़ेंस (PoP) पर जाकर NPS अकाउंट के लिए आवेदन कर सकते हैं या ई-एनपीएस वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन ऐसा किया सकता है। यूं तो इसकी शुरुआत 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी, लेकिन बाद में इसे 2009 में आम जनता के लिए सुलभ करा दिया गया था। एनपीएस दो तरह के खातों की सुविधा देता है, टियर 1 और टियर 2।

टियर 1 एनपीएस खाता पेंशन खाता है, टियर 2 खाता- एक निवेश खाते के रूप में जाना जाता है। अगर आप भी एनपीएस में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इसके फायदे जान लीजिये…

स्वैच्छिक योगदान: एनपीएस में एक ग्राहक किसी वित्तीय वर्ष में किसी भी समय योगदान कर सकता है और वह राशि बदल सकता है, जिसे वह अलग रखना चाहता है और हर साल बचाता है।

लचीलापन: सब्सक्राइबर अपने स्वयं के निवेश विकल्प और पेंशन फंड चुन सकते हैं और अपना पैसा बढ़ा सकते हैं।

पोर्टेबल: सदस्य अपने एनपीएस खाते को कहीं से भी संचालित कर सकते हैं, भले ही वे शहर या रोजगार बदलते हों।

PFRDA द्वारा रेगुलेटेड: PFRDA द्वारा NPS को पारदर्शी निवेश मानदंडों और NPS ट्रस्ट द्वारा फंड मैनेजरों की नियमित निगरानी और प्रदर्शन की समीक्षा के साथ विनियमित किया जाता है।

आयकर लाभ: एनपीएस के टियर 1 खाते में निवेश से आयकर लाभ मिलता है। कोई भी व्यक्ति जो एनपीएस का ग्राहक है वह आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये के ग्रोस इनकम का 10 प्रतिशत तक कर कटौती का दावा कर सकता है। एनपीएस म्युचुअल फंड की तरह ही मैनेज होता है। इसके चलते इस निवेश विकल्प से काफी अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।

एनपीएस (टीयर I खाता) में 50,000 रुपये तक के निवेश के लिए अतिरिक्त कटौती विशेष रूप से एनपीएस सब्सक्राइबर्स के पास 80 सीसीडी (1 बी) के तहत उपलब्ध है। यह 1.5 लाख रुपये से अधिक की कटौती पर है। नेशनल पेंशन सिस्टम में 18 से 60 साल तक की उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं। देश के करीब सभी सरकारी और निजी बैंकों में जाकर इस स्कीम के तहत खाता खुलवाया जा सकता है।

निवेश: एनपीएस में तीन तरह से निवेश होता है। पहला इक्विटी, दूसरा कॉरपोरेट बॉन्ड और तीसरा गवर्नमेंट सिक्युरिटीज। यहां निवेशक को अपना निवेश निर्धारित करने के लिए दो विकल्प मिलते हैं। पहला एसेट अलोकेशन और दूसरा ऑटो च्वाइस। ऑटो च्वाइस में शुरुआत में इक्विटी में 50 फीसद हिस्सा जाता है और यह समय के साथ कम होता जाता है। वहीं, एसेट अलोकेशन में निवेशक 75 फीसद तक इक्विटी में निवेश कर सकता है।

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