जानिए कब हैं अन्नपूर्णा जयंती, जानें कथा और पूजा विधि
अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा का प्रकाट्य दिवस मार्गशीष मास की पूर्णिमा तिथि पर 29 दिसंबर को होगा। पूर्णिमा तिथि 29 दिसंबर को सुबह 8.58 से 30 दिसंबर को 9.31 बजे तक रहेगी। इस दिन माता पार्वती को अन्नपूर्णा रूप की पूजा जाता है। अन्नपूर्णा माता को भोजन एवमं रसोई की देवी भी कहा जाता है। अन्ना को ब्रह्मा के समान माना गया है। इसलिए हम सभी को अन्न का आदर करना चाहिए।
ऐसे करें Annapurna Jayanti का पूजन
ज्योर्तिविद् विजय अड़ीचवाल बताते हैं कि अन्नपूर्णा जयंती पर पर सुबह जल्दी उठकर घर में रसोई को स्वच्छ करें। इसके बाद चूल्हे को धोकर उसकी पूजा करना चाहिए। रसोई घर को गुलाब जल और गंगा जल छिड़कर शुद्ध करना उत्तम है। दिन माता गौरी, पार्वती मैया एवमं शिव जी की पूजा का विधान है। इस दिन रसोई घर में दीपक जलाना के साथ अन्न का दान भी करना चाहिए
पुराणों के अनुसार, जब पृथ्वी पर जल एवं अन्ना खत्म होने लगा तब लोगो में भूख से मरने लगे। इस त्रासदी से बचने केे लिए सभी ने ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान की आराधना की और अपनी व्यथा सुनाई। इसके बाद दोनों भगवानो ने शिव जी को योग निन्द्रा से जगाया और सम्पूर्ण समस्या से अवगत कराया। समस्या को जान इसके निवारण के लिए स्वयं शिव ने पृथ्वी पर आकर लोगों के दुखों की जानकारी ली। उस समय माता पार्वती ने अन्नापूर्णा देवी का रूप लिया। इसके बाद शिव ने अन्नापूर्णा देवी से चावल भिक्षा में मांगे और उन्हें भूखे पीढित लोगो के मध्य वितरित किया। उस दिन को माता अन्नापूर्णा का प्राकट्य दिवस माना जाता है। इस दिन अन्नापूर्णा जयंती मनाई जाती