सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में चीन से भी पिछड़ा भारत
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में वृद्धि को लेकर भारत चीन से पिछड़ गया है. कृषि, उद्योग और विनिर्माण सेक्टर में कमजोर प्रदर्शन के चलते वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है और पांच साल के निचले स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है.
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में यह वृद्धि साल 2014-15 के बाद सबसे धीमी है. इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 में जीडीपी दर 6.4 फीसदी रही थी. चौथी तिमाही में जीडीपी दर चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत से भी कम रही. इस लिहाज से चौथी तिमाही में भारत आर्थिक वृद्धि के लिहाज से चीन से पीछे रह गया.
राष्ट्रीय आय पर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक पूरे वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर भी घटकर 5 साल के निचले स्तर 6.8 प्रतिशत रही. इससे पहले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी. जीडीपी के इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि मार्च 2019 में वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट एनबीएफसी क्षेत्र में दबाव जैसे अस्थायी कारकों की वजह से आई है.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सुभाष चंद्र गर्ग ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर धीमी रह सकती है, लेकिन इसके बाद इसमें तेजी आएगी. राष्ट्रीय आय पर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर भी घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत (2011-12 की कीमतों पर) रही है.
इससे पूर्व वित्त वर्ष जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी. सुभाष चंद्र गर्ग ने राष्ट्रीय आय के आंकड़े पर कहा कि 6.8 प्रतिशत सालाना आर्थिक वृद्धि के आधार पर भी भारत दुनिया की तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है. हालांकि 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रही, जो चीन की जनवरी-मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 6.4 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले कम है. इससे तीव्र आथिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था का दर्जा खो दिया है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े की माने तो सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 2018-19 की चौथी तिमाही 5.7 प्रतिशत रहा, जो इससे पहले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 7.9 प्रतिशत थी. आर्थिक विकास दर में गिरावट का अहम कारण कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन है. कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्रों का जीवीए 2018-19 की चौथी तिमाही में 0.1 प्रतिशत घटा, जबकि 2017-18 की चौथी तिमाही में इसमें 6.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी.
इस बार विनिर्माण क्षेत्र में मंदी काफी ज्यादा रही. वहीं, वित्तीय, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवा में सुधार दिखने को मिला. इसमें 2018-19 की अंतिम तिमाही में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 5.5 प्रतिशत थी. जीडीपी के संदर्भ में सकल स्थिर पूंजी निर्माण चालू और स्थिर मूल्य पर 2018-19 में क्रमश: 29.3 प्रतिशत और 32.3 फीसदी रहा, इससे पहले वित्त वर्ष में यह क्रमश: 28.6 प्रतिशत और 31.4 फीसदी था.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के मुताबिक भारत की प्रति व्यक्ति आय मार्च 2019 के आखिर में 10 प्रतिशत बढ़कर 10,534 रुपये महीना यानी 1 लाख 26 हजार 406 रुपये सालाना पहुंच जाने का अनुमान है. इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह 9 हजार 580 रुपये महीना यानी 1 लाख 14 हजार 958 रुपये सालाना था.