लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ हुआ आरंभ
लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान गुरुवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया है। दूसरे दिन शुक्रवार को खरना की पूजा के बाद आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके लिए घाटों पर प्रशासन की ओर से इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। इसके लिए नदी-तालाबों पर छठ घाट सजाए जा चुके हैं। दोपहर 2.30 बजे से श्रद्धालु राजधानी के विभिन्न घाटों पर जुटने लगे हैं। भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में व्रती और उनके परिजन पहुंच गए हैं।
सीएम और राज्यपाल ने घाट पहुंचकर दी शुभकामनाएं
इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी स्टीमर से घाटों का जायजा लेने के लिए निकल गए हैं। इस दौरान वे व्रतियों को लोकआस्था के महापर्व की शुभकामनाएं भी दे रहे हैं। सीएम के साथ बिहार के राज्यपाल फागू सिंह चौहान भी गंगा घाट किनारे पहुंचे हैं। उनके साथ कई अधिकारी भी शामिल हैं।
पटना के छठ घाटों पर मेले जैसा माहौल
पटना के गंगातट पर शनिवार को मेले जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाहन और पैदल दोनों तरीकों से घाट तक पहुंच हैं। इस दौरान छठ गीतों से घाट गुंजायमान हो गए हैं। पूरा शहर छठमय नजर आ रहा है।
इसके पहले शुक्रवार को खरना के लिए व्रतियों ने सुबह से निर्जला व्रत रखा तथा रात में गेहूं के आटे की रोटी, गुड़़-चावल और दूध से बनी खीर के साथ फल-फूल, मिठाई से पूजा की। पूजा के बाद उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है।
गुरुवार को व्रतियो ने किया नहाय-खाय
खरना के पहले गुरुवार को व्रतियों ने स्नान करने के बाद नहाय-खाय का प्रसाद कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल बनाया। व्रती के प्रसाद का सेवन करने के बाद अन्य लोगों ने वही प्रसाद ग्रहण किया। कुछ लोगों ने नदियों के तट पर प्रसाद बनाया तो कुछ ने घरों में ही नहाय-खाय की पूजा की।
छठ को लेकर पटना के एनआइटी घाट, काली घाट, दरभंगा हाउस, दीघा घाट, बांस घाट सहित प्रमुखों घाटों को चुस्त-दुरुस्त कर दिया गया है। छठ को लेकर घाटों से लेकर सड़कों तक सभी रोशनी से सराबोर हैं। रंगीन और दुधिया रोशनी से जगमग करतीं सड़कों और घाटों की भव्यता देखते बन रही है। विभिन्न पूजा समितियों की ओर से आकर्षक पंडाल बनाए गए हैं। वही घाट से लेकर सड़कों तक गूंज रहे छठी मइया के गीत शहर को छठमय बना रहे हैं।
बाजारों में भी चहल-पहल दिखाई पड़ रही है। शुक्रवार रात तक लोग पूजन सामग्री की खरीदारी करते नजर आ रहे थे। यहइ सिलसिला शनिवार को भी जारी रहेगा।
चार दिवसीय अनुष्ठान के मौके पर ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग
पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को रवियोग में गुरुवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो गया है। वहीं शुक्रवार को व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत कर तीन नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देेने के साथ व्रत का समापन करेंगी। शनिवार दो नवंबर को व्रती सायंकालीन अर्घ्य त्रिपुष्कर योग में देंगी। वही रविवार को सर्वार्थ-सिद्धि योग में भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगी।
पंडित झा ने पुराणों के हवाले से बताया कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। राजा प्रियव्रत कुष्ठ रोग से प्रभावित थे। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए छठ का व्रत किया था।
भगवान सूर्य की मानस बहन हैं षष्ठी देवी
पंडित झा की मानें ने षष्ठी देवी भगवान सूर्य की मानस बहन हैं। षष्ठी देवी को देवसेना भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। ऐसे में उन्हें सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। छठ महापर्व खास तौर पर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है।
व्रत में इन चीजों की है महत्ता
सूप, डाला- अर्घ्य में नए बांस से बने सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है। सूप को वंश की वृद्धि और वंश की रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
ईख- ईख को आरोग्यता का प्रतीक माना जाता है। लीवर के लिए ईख का रस काफी फायदेमंद माना जाता है।
ठेकुआ- आटे और गुड़ से बना ठेकुआ समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ऋतुफल- छठ पूजा में ऋतुफल का विशेष महत्व है। व्रती मानते हैं कि सूर्यदेव को फल अर्पित करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
अर्घ्य के मुहूर्त
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य – शनिवार शाम 5.32 बजे तक
प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य- रविवार सुबह 6.29 बजे के बाद