इजरायल पर आया बड़ा संकट, भारत के आगे फैलाया हाथ लेकिन…

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के एक फैसले की वजह से मुश्किल में फंसे इजरायल ने भारत से मदद मांगी है. द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में फिलीस्तीन के इलाके को भी अपने न्यायिक क्षेत्र के अंतर्गत बताया था. इस फैसले से फिलीस्तीन में इजरायल के युद्ध अपराधों की जांच शुरू होने का रास्ता खुल गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने अपने ‘अच्छे दोस्त’ भारत से अपील की है कि वह अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले के खिलाफ उसके पक्ष में समर्थन दे. एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भारत ने अभी इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है और भारत से इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) के फैसले के खिलाफ बोलने की अपील की है. नेतन्याहू ने पीएम मोदी से अपील की है कि वो आईसीसी को सख्त संदेश भेजें कि न्याय और सामान्य चेतना पर इस तरह के हमले बंद किए जाए. नेतन्याहू ने हाल ही में मोदी को ‘अच्छा दोस्त’ करार दिया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की तरफ से 7 फरवरी को नेतन्याहू के लिखे पत्र को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. इस पत्र से ठीक दो दिन पहले ही आईसीसी का फैसला आया था. सूत्रों के मुताबिक, राजनयिक चैनलों के जरिए ये संदेश दिया गया है कि भारत आईसीसी की फाउंडिंग ट्रीट्री ‘रोम स्टेच्यू’ का सदस्य नहीं है इसलिए वो कोर्ट के फैसले या आदेश के खिलाफ किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे सकता है और ना ही किसी का पक्ष ले सकता है.
इजरायल भी इस संधि का सदस्य नहीं है. इजरायल ने आईसीसी के फैसले को हैरान करने वाला बताया और कहा कि इस फैसले से साफ हो गया है कि इंटरनेशनल कोर्ट सिर्फ एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करता है. इजरायल ने कहा कि आईसीसी को ऐसे फैसले करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि इजरायल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है और फिलीस्तीन एक संप्रभु देश भी नहीं है. नेतन्याहू ने कोर्ट के फैसले को यहूदी विरोधी करार दिया.
5 फरवरी को आईसीसी की बेंच ने 2-1 से ये फैसला सुनाया था कि फिलीस्तीन भी उसके न्यायिक क्षेत्र में आता है. इसके बाद, फिलीस्तीन में इजरायल के कथित युद्ध अपराधों की जांच हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया था कि इस फैसले का ये मतलब नहीं है कि फिलीस्तीन को राष्ट्र का दर्जा दे दिया गया है.

आईसीसी की प्रॉसेक्यूटर फातोउ बेनसूडा ने 14 महीने पहले ही एक बयान में कहा था कि फिलीस्तीन क्षेत्र में गंभीर युद्ध अपराधों को अंजाम दिए जाने के कई सबूत मिले हैं. बेनसूडा ने पूर्वी जेरुसलम और गाजा पट्टी में युद्ध अपराधों में इजरायली सुरक्षा बलों और हमास दोनों के शामिल होने की संभावना जाहिर की थी.

इजरायल को इस मामले में भारत से समर्थन मिलने की उम्मीद थी. हालांकि, भारत की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है. भारत आईसीसी के रोम स्टैच्यू संधि में शामिल होने के प्रस्ताव से अब तक दूर रहा है. इसकी कई वजहें भी हैं. अगर भारत इसमें शामिल होता है तो आईसीसी कश्मीर को भी अपने न्यायिक क्षेत्र में मानते हुए दखल दे सकता है. जबकि भारत का स्पष्ट रुख रहा है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है और इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी दखल की अनुमति नहीं है.

भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. एक सूत्र ने कहा कि इजरायल-भारत के द्विपक्षीय मुद्दे में ये आर-पार का मुद्दा नहीं था लेकिन भारत की तरफ से सकारात्मक जवाब काफी मायने रखता.

प्रधानमंत्री मोदी ने एक फरवरी को इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की थी. दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर हुए हमले के बाद दोनों नेताओं के बीच ये बातचीत हुई थी. इजरायल ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया था और भारत ने धमाके की जांच में उसे हर तरह से सहयोग के लिए आश्वस्त किया था.

26 जनवरी को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्वीट में पीएम मोदी को ‘अच्छा दोस्त” कहकर संबोधित किया था और गणतंत्र दिवस की बधाई भी दी थी.

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