एक बार फ‍िर टली ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्त्विक सर्वेक्षण कराने की अपील, 22 मार्च को होगी सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्त्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर सुनवाई एक बार फ‍िर से टल गई। अदालत ने सुनवाई के लिए 22 मार्च की तिथि मुकर्रर की है। ज्ञानवापी मामले में पुरातात्त्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर शनिवार को सुनवाई चल रही थी। 

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ही वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से कथित विवादित परिसर का भौतिक और पुरातात्त्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की प्रार्थना पत्र पर शनिवार को सुनवाई हुई। पूर्व में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने सुनवाई के लिए 20 मार्च की तिथि मुकर्रर की थी।  

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने मुकदमे की सुनवाई के दौरान दस दिसंबर 2019 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अपील करते हुए प्रार्थना पत्र दिया था। इस प्रार्थना पत्र का निस्तारण होना था। प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भी अपना पक्ष रखना था। उधर काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल इस मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हाईकोर्ट में पक्षकारों की बहस पूरी हो चुकी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है।

एक और याचिका दायर

ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को एक और याचिका सिविल जज (सीनियर डिवीजन) एम के सिंह की अदालत में दायर किया गया। मां गंगा की तरफ से अपने को वाद मित्र बताते हुए महाराष्ट्र के सुरेश चव्हाण की तरफ से दाखिल किया गया है। याचिका में मां गंगा की तरफ से कहा गया कि आदिविश्वेश्वर मेरे आराध्य देव हैं। उनकी पूजा और जल अर्पित करने का अधिकार दिया जाए जो सदियों से होता आ रहा है जिसे मस्जिद के नाम पर अवरुद्ध किया गया है। ऐसे में जल चढ़ाने का अधिकार मां गंगा की तरफ से प्रदान किया जाए। 

याचिका में केंद्र व प्रदेश सरकार, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, जिलाधिकारी, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट आदि को पक्षकार बनाया गया है। अदालत में वादी की तरफ से अधिवक्ता सुभाष नन्दन चतुर्वेदी ने मां गंगा की तरफ से अदालत में पक्ष रखा। दावा दाखिल होने की जानकारी मिलने पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता एखलाक अहमद, मुमताज अहमद हाजिर हुए और अपना पक्ष रखने के लिए अदालत से समय मांगा। अदालत ने सुनवाई के लिए 19 अप्रैल की तिथि नियत की है।

इससे पहले 18 फरवरी 2021 को काशी विश्वनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थान और मां श्रृंगार गौरी समेत विराजमान अन्य देवी-देवताओं के पूजा-दर्शन को लेकर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दावा दाखिल किया गया था जिसे अदालत ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है।

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