RBI के साथ भी चालाकी कर रहे बैंक, लोगों तक नहीं पहुंचाया केंद्रीय बैंक से मिलने वाला पूरा लाभ
नई दिल्ली, आरबीआइ की तरफ से रेपो रेट में की जाने वाली कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देने में बैंकों की कंजूसी जारी है। फरवरी, 2019 से दिसंबर, 2021 तक रेपो रेट में 250 अंकों की कटौती की गई है लेकिन बैंकों द्वारा कर्ज की दरों में सिर्फ 155 आधार अंकों की कटौती हुई है। आरबीआइ के दो पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन और डॉ. ऊर्जित पटेल ने इसकी शिकायत की थी। मौजूदा आरबीआइ गवर्नर डॉ शक्तिकांत दास भी यह मुद्दा सार्वजनिक तौर पर उठा चुके हैं। लेकिन, बैंकों की आदत में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है।
मामला आरबीआइ की तरफ से कर्ज सस्ता करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और इसका पूरा फायदा ग्राहकों को देने को लेकर है। यह ऐतिहासिक तौर पर सत्यापित तथ्य है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट घटा कर जितनी राहत ग्राहकों को देने की कोशिश करता है, बैंक उससे कम ही फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। यही नहीं, कर्ज सस्ता करने के मुकाबले ये बैंक जमा दरों पर ज्यादा कैंची चलाते हैं यानी आम जनता को बैंक जमा पर कम ब्याज मिलता है।
आरबीआइ की नई मासिक रिपोर्ट से पता चलता है कि फरवरी 2019 से लेकर दिसंबर 2021 के दौरान रेपो रेट में 2.50 फीसद (250 आधार अंक) की कटौती की गई है लेकिन बैंकों की औसत कर्ज की दरों में सिर्फ 1.55 फीसद (155 आधार अंक) की कटौती ही की गई है। हालांकि, कोरोना महामारी के बाद आरबीआइ ने आपातकालीन परिस्थिति को देखते हुए जब रेपो रेट घटाये थे, तब उसका फायदा ग्राहकों को देने में बैंक ने ज्यादा तत्परता दिखाई। सामान्य हालात में बैंक सुस्त दिखाते रहे हैं।
पुराने कर्ज लेने वाले ग्राहकों के लिए कर्ज की दरों में सिर्फ 1.33 फीसद की राहत मिली है जबकि नए कर्ज लेने वालों के लिए कर्ज की दरें 1.97 फीसद सस्ती हुई हैं। दूसरी तरफ जमा दरों में कुल 2.13 फीसद की कटौती हुई है। बता दें कि रेपो रेट वह दर है, जो आरबीआइ बैंकों को दिए गए कर्ज पर वसूलता है और इसके जरिए वह बैंकिंग व्यवस्था में ब्याज दरों को तय करने का काम करता है।
अप्रैल, 2020 में रेपो रेट में की गई कटौती की वजह से आज की तारीख में होम लोन और आटो लोन ऐतिहासिक न्यूनतम दरों पर हैं। हालांकि, भविष्य में ब्याज दरें कैसी रहेंगी, इसका संकेत तो केंद्रीय बैंक पहले ही दे चुका है कि सस्ते कर्ज का दौर अब धीरे धीरे समाप्त होगा। कोरोना के ओमिक्रोन वैरियंट के बाद दिसंबर, 2021 में मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा गया था कि अगर इकोनोमी को जरूरत होगी तो ब्याज दरों को नीचे रखने की कोशिश आगे भी होगी।
लेकिन, इस मासिक रिपोर्ट में यह माना गया है कि ओमिक्रोन का इकोनोमी पर कोई खास असर नहीं होगा। ऐसे में हो सकता है कि फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा में ही ब्याज दरों को लेकर फैसला हो जाए। आरबीआइ ने इस रिपोर्ट में यह भी कहा कि कुछ बैंकों ने जमा दरों को बढ़ा कर संकेत दे दिए हैं कि आने वाले दिनों में कर्ज महंगा हो सकता है। दरअसल, बैंकिंग सेक्टर में पहले जमा दरों को बढ़ाया जाता है और इसके बाद कर्ज को महंगा करने का प्रचलन है।