उत्तराखंड: पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का सुरक्षित विकल्प तलाशने के लिए नई योजनाओं की घोषणा
केंद्रीय वित्त मंत्री ने आम बजट में पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का सुरक्षित विकल्प तलाशने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है। इससे राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क परियोजनाओं के तहत नई टनल, एलीवेटेड रोड़ और केबल कार बनाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है। दरअसल राज्य सरकार पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर चुकी है। इसी के तहत देहरादून से टिहरी झील के समीप कोटी कॉलोनी तक सुरंग बनाने का महत्वकांक्षी प्रस्ताव केंद्र को दिया गया था। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार पूर्व में सैद्धांतिक तौर पर मंजूर भी कर चुकी है और डीपीआर पर काम चल रहा है।
वित्त मंत्री की घोषणा के बाद इस तरह की परियोजनाओं के लिए बजट आवंटित हो सकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण काफी खर्चीला होने के साथ ही टिकाऊ भी नहीं है। ऐसे में अब बड़ी संख्या में सड़कों पर टनल व एलिवेटेड रोड बनाने के प्रस्ताव पर काम हो सकता है। जानकारों का कहना है कि पहाड़ पर सुरंग का निर्माण कम खर्चीला होने के साथ ही टिकाऊ भी हो सकता है। साथ ही इससे सड़क के लिए एक बहुत बड़े क्षेत्र को खोदने से भी मुक्ति मिल सकती है। पहाड़ के गदेरों के बीच एलिवेटेड रोड के निर्माण भी संभव हो सकता है। यही नहीं ऊंचाई पर पहुंचने के लिए केबल कार और रोपवे परियोजनाओं को भी बढ़ावा मिल सकता है।
आपदा का कारण बन रही सड़कें
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में सड़कों के निर्माण का काम तेज हुआ है। ऑल वेदर रोड परियोजना और भारत माला परियोजना से इसमें और तेजी आई है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह भी देखने को मिला है कि सड़कों का निर्माण कई बार आपदा के नुकसान को बढ़ा रहा है। सड़कों को खोदने की वजह से कई स्थानों पर पहाड़ कमजोर हो रहे हैं।
जो बारिश की वजह से खिसक रहे हैं और आपदा की मुख्य वजह बन रहे हैं। इसके साथ ही सड़कों का मलबा भी राज्य के कई गांवों के लिए खतरा बन है। ऐसे में सड़क के सुरक्षित विकल्प निकाले जाने से राज्य को बड़ा फायदा हो सकता है। राज्य में आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है और ऐसे में केंद्र सरकार इस परियोजना के तहत राज्य को ज्यादा से ज्यादा लाभ दे सकती है।
12 सड़कों के राष्ट्रीय राजमार्ग बनने की उम्मीद जागी
केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2022- 23 में 25 हजार किमी नए राजमार्ग बनाने की घोषणा की है। जबकि 20 हजार किमी पुरानी सड़कों को सुधारे जाने या चौड़ा किए जाने की घोषणा की गई है। इसका लाभ भी राज्य को बड़े स्तर पर मिलने की उम्मीद है। राज्य सराकर की ओर से पिछले कुछ सालों के दौरान 12 प्रमुख सड़कों को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव केंद्र को दिया गया है। इसके बाद अब इन सड़कों की स्थिति बेहतर होने या इनके राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने की उम्मीद बढ़ गई है।
राज्य के लोक निर्माण विभाग ने पूर्व में त्यूनी से मसूरी, चम्बा, पौखाल होते हुए मलेथा तक की सड़क को डबल लेन करने का प्रस्ताव केंद्र को सौंपा था। इसके साथ ही जौलीकोट से कर्णप्रयाग तक सड़क चौड़ीकरण और एनएच बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र में लम्बित है। शिमली से जौलजीवी सड़क और यमकेशर होते हुए कुमांऊ के लिए सड़क मार्ग का प्रस्ताव भी काफी पहले से केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इसके अलावा राज्य के चारधाम को आपास में जोड़ने के लिए गंगोत्री से केदारनाथ और बद्रीनाथ तक एक सड़क का प्रस्ताव भी केंद्र के पास है।
इसके तहत हिमलायी क्षेत्र के ट्रेकिंग रूट को सड़क मार्ग में बदलने की योजना थी। हालांकि इस पर अभी बहुत ज्यादा होमवर्क नहीं हो पाया है। केदारनाथ आपदा के समय उपयोगी साबित हुए गुप्तकाशी, मयाली, घनसाली, गडोलिया सड़क को फोन लेन का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार के पास है और अब केंद्रीय वित्त मंत्री की घोषणा से इन सड़कों की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।