वैश्विक कारणों के चलते जून के मुकाबले भारतीय सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर में कमी आई 

क्यों कम हुई सर्विसेज की वृद्धि दर

जुलाई 2022 में सर्विस सेक्टर PMI घटकर 55.5 रह गया जो जून में 59.2 था। बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति के दबाव के चलते जुलाई में सेवा क्षेत्र का विस्तार कम हुआ है। राहत की बात यह है कि अब भी सूचकांक 50 से ऊपर हैराहत की बात यह है कि अब भी सूचकांक 50 अंक से ऊपर है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 50 से ऊपर होना विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर कमजोरी का संकेत है। अगर लंबे स्केल पर देखें तो जुलाई की रीडिंग औसत से अधिक आंकी गई है। जून में 11 साल के उच्च स्तर से नीचे खिसकने के बावजूद घरेलू मांग में तेजी आई। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोल्याना डी लीमा ने कहा कि नवीनतम परिणामों में कई सकारात्मकताएं थीं। नए कारोबार की स्थापना, नई सेवाओं की पेशकश और मार्केटिंग के नए-नए तौर-तरीकों के कारण व्यावसायिक गतिविधि में मजबूती रही। कई अन्य देशों की तरह, भारत भी बढ़ती मुद्रास्फीति से जूझ रहा है। कई चीजों की कीमतें एक दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। कमजोर रुपये ने मुद्रास्फीति को और बढ़ा दिया है। ऊंची मुद्रास्फीति और वैश्विक कारणों के चलते जून के मुकाबले भारतीय सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर में कमी आई है। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज पीएमआई (India Services PMI) जुलाई 2022 में घटकर 55.5 रह गया, जो जून में 59.2 था। मार्च के बाद सर्विस सेक्टर की यह सबसे कम वृद्धि है। बिक्री के कमजोर रहने और मुद्रास्फीति के दबाव ने व्यावसायिक गतिविधियों को सीमित कर दिया, जिसके चलते सेवाओं कि पीएमआई कम रही।

क्यों कम हुई सर्विसेज की वृद्धि दर

सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई में अधिक बिक्री की सूचना देने वाले सेवा प्रदाताओं ने मांग के अनुकूल होने की बात मानी, लेकिन भयंकर प्रतिस्पर्धा और प्रतिकूल मौसम से सर्विसेज के विकास में कमी आई। सर्वेक्षण में कहा गया है कि घरेलू बाजार बिक्री का प्रमुख स्रोत बना रहा क्योंकि भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में पहले से कमी आ है। इस बीच, जुलाई में सर्विस इकॉनोमी में कारोबारी धारणा कमजोर रही क्योंकि केवल 5 प्रतिशत कंपनियों ने आने वाले वर्ष में उत्पादन में वृद्धि का अनुमान लगाया। अधिकांश फर्मों (94 प्रतिशत) का मानना है कि व्यावसायिक गतिविधियों में आने वाले दिनों में कोई बदलाव नहीं होगा। कीमतों के मोर्चे पर जुलाई के दौरान सेवा प्रदाता कंपनियों के औसत खर्चों में वृद्धि हुई। नौकरियों के मोर्चे पर जुलाई के आंकड़ों में पूरे भारत में सेवा क्षेत्र के रोजगार में नगण्य वृद्धि हुई है। रोजगार सृजन की दर मोटे तौर पर जून के समान थी।

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