इंदौर पांच बार देशभर में नंबर-एक बन चुका है, लेकिन यहाँ के गांव अभी स्वच्छता का पाठ नहीं पढ़ा
पंचायतों में कचरा गाड़ियां चलाने में आ रही मुश्किल
जितेंद्र यादव, इंदौर। स्वच्छता के मामले में इंदौर शहर तो लगातार पांच बार देशभर में नंबर-एक बन चुका है… पर अफसोस की बात है कि यहां के गांव स्वच्छता का पाठ नहीं पढ़ पाए। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में स्वच्छता लाने के लिए लाखों रुपये के सेेग्रिगेशन शेड बनाए गए हैं। इनमें गीला और सूखा कचरा अलग करके इसका निपटान किया जाना था, लेकिन हकीकत यह है कि एक साल बाद भी ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। यही कारण है कि स्वच्छ भारत मिशन एसबीएम में प्रदेश स्तर पर इंदौर जिला बहुत फीसड्डी है। जून महीने की जिलेवार ग्रेडिंग में एसबीएम में इंदौर जिला डी-ग्रेड में चला गया है, जबकि ग्रामीण विकास की सभी योजनाओं में प्रदेश में 20वें नंबर पर है।
हर क्षेत्र में आगे रहने वाले इंदौर के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए। शहर पर ध्यान केंद्रित करने वाले अधिकारियों का गांवों से ध्यान हटने के कारण यह हालात बने हैं। कई गांवों में गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करने के लिए सेग्रिगेशन शेड बनाए गए हैं, लेकिन यह केवल दिखावे के हैं। शेड खाली पड़े हैं और इनके बगल में कचरा डाला जा रहा है। कचरा अलग करने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है। इन शेड के निर्माण पर आठ लाख से लेकर 16 लाख रुपये तक खर्च हुए हैं।कुछ जगह पांच-छह लाख रुपये में कचरा गाड़ियां खरीदी गईं लेकिन वह भी बंद पड़ी हैं। महू जनपद की हरसोला, इंदौर के पास भांग्या और सांवेर जनपद की बुढ़ानिया पंथ पंचायतें इसका उदाहरण हैं। कुछ ग्राम पंचायतों में घर-घर से कचरा इकट्ठा करने वाली गाड़ियां तो खरीद ली गई हैं, लेकिन वे अब तक चालू नहीं हो पाई हैं। इंदौर जनपद की बुड़ानिया पंचायत इसकी बानगी है।उधर सांवेर जनपद क्षेत्र की बालोदा टाकून पंचायत में एक महीने से कचरा गाड़ी बंद पड़ी है। पिपल्दा पंचायत की नवनिर्वाचित सरपंच शर्मिला श्रीकृष्ण मंडलोई बताती हैं कि पिछली पंचायत के कार्यकाल में सेग्रिगेशन शेड का काम शुरू हुआ था, लेकिन अभी बाकी है। इसे पूरा कराएंगे और कचरा गाड़ी भी खरीदेंगे। पहले कुछ समय के लिए अस्थायी तौर पर ट्राली में कचरा इकट्ठा करना शुरू किया था, लेकिन लोगों ने सफाई शुल्क नहीं दिया। अब ग्रामीणों की सहमति लेकर व्यवस्था बनाएंगे।
धार, झाबुआ, आलीराजपुर ए-ग्रेड में… इंदौर के साथ खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर भी पिछड़े
स्वच्छ भारत मिशन की ग्रेडिंग में इंदौर भले ही निचले पायदान पर हो, लेकिन संभाग के धार, झाबुआ और आलीराजपुर जिले ए-ग्रेड में हैं। इन तीन जिलों में बेहतर काम हुआ है। दूसरी तरफ इंदौर के साथ ही संभाग के खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर जिले भी डी-ग्रेड में चले गए हैं। यही नहीं भोपाल, विदिशा, सीहोर, छिंदवाड़ा, रीवा, सतना, सीधी, बालाघाट, नरसिंहपुर, कटनी, मंडला, टीकमगढ़, दमोह, मुरैना जिले भी डी-ग्रेड में हैं।
पंचायतों में कचरा गाड़ियां चलाने में आ रही मुश्किल
यह सही है कि गांवों में सेग्रिगेशन शेड में अब भी कचरा नहीं डाला जा रहा है। लोग स्वच्छता शुल्क भी नहीं दे रहे हैं, इस कारण पंचायतों को कचरा गाड़ियां चलाने में मुश्किल आ रही है। स्वच्छ भारत मिशन का एक ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं। इसके लिए जनपदवार नवनियुक्त सरपंचों की साथ बैठक भी करेंगे। नगर निगम की तरह पंचायतों में भी रहवासियों को स्वच्छता शुल्क देने की आदत डालना चाहिए। यदि लोग शुल्क नहीं देंगे तो कचरा गाड़ी में डीजल कैसे भरेगा और गाड़ी का रखरखाव कैसे हो पाएगा।