अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो आपको आईटीआर फाइल करने में कोई परेशानी नहीं होगी..
अकसर लोग आईटीआर फाइल करने से पहले जल्दबाजी करते हैं और इसी जल्दीबाजी में अकसर वो कई गलतियां कर देते हैं। लेकिन अब आपको घबराना नहीं है आज हम आपको उन सभी जरूरी चीजों के बारे में बताएंगें जिन्हें आपको आईटीआर फाइल करने से पहले ध्यान में रखना चाहिए। अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो आपको आईटीआर फाइल करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने का जुलाई आखिरी महीना है। इसकी लास्ट डेट 31 जुलाई, 2023 तक है। आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 1 करोड़ से अधिक आईटीआर दाखिल किए जा चुके हैं।
अगर आप भी ईमानदारकी श्रेणी में आते हैं और आपको आईटीआर फाइल करना है आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए जो आज हम आपको बता रहे हैं।
सही आईटीआर फॉर्म का करें चुनाव
जब भी आप आईटीआर फाइल करने जाएंगे तब आपको विभिन्न मिलेंगें। यहां आपको ध्यान देना है कि आप सही फॉर्म का चुनाव करें। आईटीआर फॉर्म सात तरह के होतें हैं।
- आईटीआर फॉर्म 1 उन लोगों के लिए होता है जिनकी आय 50 लाख रुपये तक की है। इस 50 लाख रुपये में वेतन, एक गृह संपत्ति और अन्य स्रोतों (ब्याज आदि) से आय प्राप्त होती है।
- आईटीआर फॉर्म 2 उन लोगों द्वारा दाखिल किया जाता है जिनकी आय आवासीय संपत्ति से है और जिनकी आय 50 लाख रुपये से अधिक है।
- आईटीआर फॉर्म 3 पेशेवरों द्वारा दाखिल किया जाता है।
- आईटीआर फॉर्म 4 उन व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) और फर्मों द्वारा दाखिल किया जा सकता है जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी आय व्यवसाय और पेशे से है।
- आईटीआर-5 और आईटीआर-6 एलएलपी और व्यवसायों द्वारा दाखिल किए जाते हैं।
- आईटीआर-7 करदाताओं के लिए है, जिनमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जो एक धर्मार्थ या धार्मिक ट्रस्ट, राजनीतिक दल, अनुसंधान संघ, समाचार एजेंसी या अधिनियम में निर्दिष्ट समान संगठन हैं।
अपनी संपत्ति का करें खुलासा
सरकार ने व्यक्तिगत करदाताओं को अपने में कुछ संपत्तियों का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है। आपके स्वामित्व वाली भूमि और भवन जैसी अचल संपत्तियों के लिए, आपको संपत्ति का विवरण, उसका पता और ऐसी संपत्ति की कीमत प्रदान करनी होगी।
सभी आय स्रोतों की करें रिपोर्ट
यदि आप अपने सभी आय स्रोतों की जानकारी नहीं देते हैं, तो आयकर विभाग इसे आईटी अधिनियम का उल्लंघन मान सकता है और आपको नोटिस भेज सकता है।
अधिकांश व्यक्तियों के पास वेतन के अलावा आय के कई स्रोत होते हैं, जैसे बैंक बचत खाते पर अर्जित ब्याज, सावधि जमा (एफडी), बीमा और पीपीएफ जैसी अन्य बचत योजनाएं। आपको ऐसी सभी आय की रिपोर्ट करनी होगी, भले ही वह कर-मुक्त हो।
टीडीएस विवरण में विसंगति
हममें से कई लोग आईटी विभाग के पास मौजूद (स्रोत पर कर कटौती) के फॉर्म-26 AS क्रेडिट को सत्यापित किए बिना रिटर्न दाखिल करते हैं।
यदि आपका नियोक्ता या कोई अन्य व्यक्ति जिसने टीडीएस काटा है, उसे आईटी विभाग में जमा नहीं करता है या आपके पैन का सही उल्लेख करने में विफल रहता है, तो वह राशि फॉर्म -26 AS में प्रतिबिंबित नहीं होगी, जिससे डिफ़ॉल्ट हो जाएगा।
इसलिए यह जांच लें कि काटे गए टीडीएस का क्रेडिट फॉर्म-26 AS में उल्लिखित है। यदि कोई बेमेल है, तो उसे सुधारने के लिए समय पर कार्रवाई करें।
धारा 80सी के तहत ध्यान से करें कटौती का दावा
हम में से कई लोग सोचते हैं कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में नियोक्ता के योगदान को धारा 80सी लाभों का दावा करने में शामिल किया जाना चाहिए जो गलत है।
इसी तरह, केवल होम लोन पर चुकाया गया मूलधन ही धारा 80सी के लिए पात्र है। कई अन्य कटौतियों का दावा गलत मदों में किया जाता है जिसके कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है।