इस दिन देशभर में धूमधाम से खेली जाएगी होली, जाने पूजा करने की प्रक्रिया

उत्साह, उमंग और उल्लास का त्यौहार कहा जाने वाला होली जल्द ही आने वाला है और ऐसे में लोगों के बीच उत्साह बढ़ता ही जा रहा है. होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वैसे तो होली की शुरुआत तो बसंत पंचमी से हो जाती है पर इसे हर्षोल्लास के साथ फाल्गुन महीने में पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग दुश्मनी भूलकर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं और मिलकर धमाल मचाते हैं.

इस बार होली 20 मार्च को होलिका दहन होगा और फिर 21 मार्च को धुलण्डी मनाई जाएगी. हालांकि इसकी तारीखे में परिवर्तन हो सकते हैं. होली के एक दिन पहले शाम को जगह-जगह होलिका का दहन होता है और रंग गुलाल उड़ाकर खुशियां बांटी जाती है. हर गली,मोहल्ला रंगो से सराबोर होगा. होली में पूजा की तैयारी के लिए लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करे. अपने हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं.

इस प्रक्रिया के बाद होलिका की तीन परिक्रमा करे और फि नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद सभी को खिलाएं. होली को फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन मास में बसंत ऋतु अपनी चरम उत्कर्ष पर होती है एवं चारों ओर फूल खिले रहते हैं. पहले के समय में तो होली केवल फूलों से, या फूलों से बने रंगों से ही खेलने का प्रचलन था लेकिन अब धीरे-धीरे रंगों एवं गुलाल से होली खेलने का प्रचलन बढ़ गया है.

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