योगी आदित्यनाथ 72 घंटे और मायावती 48 घंटे तक नहीं कर सकेंगे रैली और रोड शो
लोकसभा चुनाव 2019 में आचार संहिता के उल्लंघन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर प्रचार करने पर रोक लगा दी गई है। योगी आदित्यनाथ के साथ ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर भी धर्म के आधार पर वोट मांगने पर यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर निर्वाचन आयोग ने की है।
आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने सख्त कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के प्रचार करने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग की ये रोक 16 अप्रैल से शुरू होगी, जो कि योगी आदित्यनाथ के लिए 72 घंटे और मायावती के लिए 48 घंटे तक लागू रहेगी। इस दौरान योगी आदित्यनाथ और मायावती ना ही कोई रैली को संबोधित कर पाएंगे, ना ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पाएंगे और ना ही किसी को इंटरव्यू दे पाएंगे। चुनाव आयोग का एक्शन 16 अप्रैल सुबह 6 बजे शुरू होगा। चुनाव आयोग के फैसले से साफ है कि योगी आदित्यनाथ 16, 17 और 18 अप्रैल को कोई प्रचार नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा मायावती 16 और 17 अप्रैल को कोई चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगी।
लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए नेता पूरी ताकत झोंक रहे हैं। ऐसे में अक्सर ही यह लोग आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर दे रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए आज चुनाव आयोग ने अपना दायरा दिखा दिया। आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ के साथ ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया पर डंडा चलाया है।
चुनाव आयोग ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती को रैली और रोड शो करने से से बैन कर दिया है। उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ को 72 घंटे और मायावती को 48 घंटे के लिए रैली और रोड शो करने पर बैन लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध कल सुबह छह बजे से शुरू हो जाएगा।
चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ और मायावती को उनके भाषणों में आपत्तिजनक बयानों के जरिए आचार संहिता के उल्लंघन में दोषी पाया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान बसपा प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित रूप से विद्वेष फैलाने वाले भाषणों का आज ही संज्ञान लिया और निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि उसने इनके खिलाफ अभ्री तक क्या कार्रवाई की है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने चुनाव प्रचार के दौरान जाति एवं धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाने वाले वाले भाषणों निबटने के लिये आयोग के पास सीमित अधिकार होने के कथन से सहमति जताते हुये निर्वाचन आयोग के एक प्रतिनिधि को कल तलब किया है।
पीठ ने निर्वाचन आयोग के इस कथन का उल्लेख किया कि वह जाति और धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाने वाले भाषण के लिये नोटिस जारी कर सकता है, इसके बाद परामर्श दे सकता है ओर अंतत: ऐसे नेता के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में शिकायत दर्ज करा सकता है।
पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा कि उनके हाथ में कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पहले नोटिस जारी करेंगे, फिर परामर्श जारी होगा और फिर शिकायत दर्ज की जाएगी। पीठ ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान इस तरह के विद्वेष फैलाने वाले भाषणों से निबटने के आयोग के अधिकार से संबंधित पहलू पर वह गोर करेगा।
सुनवाई के दौरान पीठ ने आयोग के अधिवक्ता से मायावती और योगी आदित्यनाथ के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के कारण उनके खिलाफ उठाए कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी थी। आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि वह पहले ही दोनों नेताओं को नोटिस जारी कर चुका है। पीठ ने कहा कि हमें मायावती व योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उठाए कदमों के बारे में बताएं। पीठ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शारजाह के रहने वाले एनआरआई योग प्रशिक्षक की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में उन्होंने आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं के मीडिया में धर्म एवं जाति के आधार पर की जाने वाली टिप्पणियों पर चुनाव आयोग को ‘कड़े कदम’ उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया।