वाराणसी पेयजल परियोजना में आजम खान के कार्यकाल में घटिया हुई थी घटिया पाइपों की खरीद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पेयजल परियोजना के साथ प्रदेश की पूर्व बसपा व सपा सरकारों में हद दर्जे की धांधली हुई है। परियोजना में घटिया निर्माण सामग्री (खासकर पाइप) का उपयोग किया गया है जिसकी खरीद लखनऊ में की गई थी। परिणाम हुआ कि सीमेंट व प्लास्टिक की पाइपें ट्रेस्टिंग के दौरान पानी का दबाव नहीं झेल सकींं और फट गईं। वहीं ओरवहेड टंकियां पानी भरते ही टपकने लगीं।
लखनऊ से आई जांच टीम ने गुरुवार को भी दुर्गाकुंड स्थित अधिशासी अभियंता जल निगम कार्यालय में पूरा दिन बिताया। इस दौरान निर्माण सामग्रियों की हुई खरीद की फाइलों को पलटा गया। तकनीकी विशेषज्ञों की पहले हुई जांचों में स्पष्ट हो चुका है कि पेयजल परियोजना में घटिया निर्माण सामग्रियों का उपयोग किया गया है। इसके मद्देनजर सामग्रियों की खरीद से जुड़े दस्तावेजों की जांच टीम के लिए अहम है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, परत- दर-परत धांधली सामने आ रही है। करीब 227 करोड़ की सिस वरुणा पेयजल योजना है।
बसपा सरकार में हरियाली को हरते हुए पार्कों में ओवरहेड टंकियां बिछाईं गईं जबकि सपा सरकार में पाइप लाइन का कार्य हुआ। 466 किलोमीटर लाइन के लिए पाइप, बैंड, ज्वाइंटर, स्विचवॉल्ब, एयरवॉल्ब आदि लखनऊ में ही खरीदे गए। इस दौरान नगर विकास मंत्री आजम खां थे। लखनऊ से ही बनारस में सामग्रियों की आपूर्ति की गई। इसमें आठ इंच की एसी व चार इंच की पीबीसी पाइपें थीं। खास यह कि घटिया सामग्री आपूर्ति होने पर भी स्थानीय अफसरों की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई। इस परियोजना में जिन छोटे-छोटे ठेकेदारों का इस्तेमाल किया गया उन्होंने सिर्फ मैन पावर दिया है। जल निगम के अभियंताओं की निगरानी में कार्य कराया गया। अभियंताओं ने न तो निगरानी की और न ही ब्लू प्रिंट का ध्यान रखा।
चहेते ठेकेदारों के गड़बड़ कार्य
जांच में यह भी सामने आया कि जल निगम के कुछ अफसर व कर्मचारी अपने परिवार व रिश्तेदारों के नाम से ठेका लिया। इन ठेकेदारों के दायरे में हुए कार्य में भारी गड़बड़ी हुई। पाइप लाइनों में गैप छोड़ दिया तो दो पाइपों के ज्वाइंट ठीक नहीं किया। सीवर लाइन व पेयजल पाइप लाइन का ध्यान रखे बिना मनमाने ढंग से कार्य किया गया। ऐसी गड़बड़ी कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने पकड़ी। महमूरगंज में सीवर लाइन से नीचे पेयजल पाइप लाइन बिछाई गई। ऐसे ही कुछ ठेकेदारों के गलत कार्य का दंश छोटे-छोटे 125 ठेकेदारों को झेलना पड़ रहा है।