हनुमा विहारी ने अपना पहला टेस्ट शतक इस खास शख्स को किया समर्पित
टीम इंडिया बैटिंग ऑलराउंडर हनुमा विहारी ने जमैका में वेस्टइंडीज की जमकर खबर ली और अपना अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक ठोक दिया। इससे पहले एंटीगा टेस्ट मैच में हनुमा विहारी शतक लगाने से चूक गए थे, लेकिन जमैका में ये कसर पूरी कर ली। हनुमा विहारी ने इस टेस्ट सेंचुरी को एक खास शख्स को समर्पित किया है, जो इस दुनिया में नहीं है।
दरअसल, हनुमा विहारी ने भारत की ओर से छठा टेस्ट मैच खेलते हुए शतक जड़ा। हनुमा विहारी ने 225 गेंदों में 16 चौकों की मदद से 111 रन की बेसकीमती पारी खेली। इसी शतक को हनुमा विहारी ने अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित किया है और कहा है कि आशा करता हूं कि उन्होंने गर्व महसूस किया होगा। हनुमा विहारी ने खुद इस बात का खुलासा किया है कि जब में 12 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था।
मैच के दूसरे दिन के बाद हनुमा विहारी ने कहा है, “दरअसल, जब मैं 12 साल का था तब मेरे पिता का देहांत हो गया था। उसी दौरान मैंने फैसला किया था कि मैं इंटरनेशनल क्रिकेट खेलूंगा और अपने पहले शतक को पिता को डेडिकेट करूंगा। आज मेरे लिए बड़ा भावुक दिन है और मुझे उम्मीद है कि वे जहां भी होंगे गर्व महसूस करेंगे और मैं खुश हूं कि मैंने इस उपलब्धि को हासिल किया है।”
25 वर्षीय हनुमा विहारी ने पहले दिन 42 रन बनाए थे। इसके बाद उन्होंने टेलेंडर्स के साथ बल्लेबाजी की थी, क्योंकि रिषभ पंत और रवींद्र जडेजा जल्दी आउट हो गए थे। हनुमा विहारी ने इशांत शर्मा के साथ 112 रन की साझेदारी की थी, जिसमें इशांत शर्मा ने 57 रन बनाए थे। घसियाली पिच पर हनुमा विहारी के शतक की बदौलत भारत ने पहली पारी में 416 रन का स्कोर खड़ा किया।
हनुमा विहारी ने कहा, “एक रात पहले जब में 42 रन पर बल्लेबाजी कर रहा था, तो मैं सोते समय ये सोच रहा था कि इस पारी को आगे कैसे बढ़ाया जाए और बड़े स्कोर में तब्दील किया जाए। मैं खुश हूं कि मैंने तीन अंकों का आंकड़ा पार किया है। इसके लिए इशांत को भी क्रेडिट जाता है, जिस तरह से उन्होंने बल्लेबाजी की। इस तरह की परिस्थितियों में शतक बनाने से मुझे संतुष्टि मिली है।”