वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम में आए आवेदनों में से 705 आवेदन चल रहे अभी लंबित….
अवैध निर्माण को वैध बनाने के लिए नियमों में अतिरिक्त छूट के साथ जो वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम (ओटीएस) शुरू की गई थी, वह 31 दिसंबर को समाप्त हो चुकी है। हालांकि, इसके साथ एमडीडीए की टेंशन खत्म होने के बजाय बढ़ गई है। क्योंकि, ओटीएस में आए आवेदनों में से 705 आवेदन (करीब 67 फीसद) अभी लंबित चल रहे हैं। बड़ी संख्या में नक्शों में आपत्तियां लगाई गई हैं और उन्हें दूर करने में भवन निर्माणकर्ताओं के पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में इन अवैध निर्माण पर सीलिंग का फंदा भी कसता जा रहा है।
एमडीडीए में 31 दिसंबर 2019 तक ओटीएस के तहत 1062 नक्शे जमा किए जा चुके थे। इनमें से महज 357 नक्शों को ही अब तक स्वीकृति दी जा सकी है। काफी कम संख्या में नक्शे निरस्त किए गए हैं और अधिकतर पर आपित्तयां लगाई गई हैं। इस मामले में एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि करीब 500 नक्शे ओटीएस स्कीम समाप्ति के अंतिम दिन यानी 31 दिसंबर को जमा किए गए। अवैध निर्माण के ऐसे प्रकरणों में संबंधित अभियंताओं को मौके पर जाकर रिपोर्ट बनानी होती है। इस लिहाज से भी समय अधिक लगता है। जिन मामलों में आपत्तियां लगी हैं, उनमें भवन निर्माणकर्ता को उसे दूर करना होता है। उनके स्तर पर भी लंबे समय तक मामला लटका रहता है। हालांकि, एमडीडीए अपनी तरफ से प्रकरणों के निस्तारण में तेजी दिखा रहा है। जो निर्माण पास करने योग्य नहीं होंगे, उन्हें तत्काल सील कर दिया जाएगा।
आर्किटेक्ट लगा रहे चक्कर, उपाध्यक्ष ने छापा मारकर पकड़ा
ओटीएस संबंधी फाइलें लंबे समय से लंबित होने के चलते अब आर्किटेक्ट अभियंताओं के फ्लोर में भी व्यक्तिगत रूप से दस्तक देने लगे हैं। यह स्थिति तब है, जब एमडीडीए में अधिकारियों के पहले तल को छोड़कर शेष तल पर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लगाया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि शेष तल के दरवाजे एमडीडीए कार्मिकों की अंगुली के पंच से ही खुलेंगे और बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित रहेगा। मगर, कुछ समय से एमडीडीए कार्मिकों के साथ अन्य लोग भी शेष तल पर प्रवेश कर रहे हैं, खासकर आर्किटेक्ट।
इसकी जानकारी एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव को मिली तो 15 जनवरी को उन्होंने छापा मारकर कई आर्किटेक्ट को पकड़ लिया। उन्होंने 16 जनवरी को सभी कार्मिकों को हिदायत जारी की कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। कहा कि यदि लंबित प्रकरण को लेकर आर्किटेक्टों को एमडीडीए कार्यालय आना है तो वह प्रथम तल पर अधिकारियों से मिलें। अभियंताओं के तल पर अनाधिकृत प्रवेश न करें।
ओटीएस की स्थिति
- कुल आवेदन, 1062
- आवासीय नक्शे, 697
- कॉमर्शियल नक्शे, 365
- स्वीकृत नक्शे, 357
- निरस्त नक्शे, 155
- आपत्ति वाले नक्शे, 469
- कार्रवाई गतिमान, 171
ओटीएस की टेंशन छूटी नहीं, सामान्य का भी घटा
शासन के नियमानुसार आवासीय नक्शा पास करने के लिए 30 दिन व कॉमर्शियल नक्शे के लिए 60 दिन का समय तय किया गया है। मगर, ऑनलाइन व्यवस्था के बाद एमडीडीए ने कॉमर्शियल नक्शे की समय सीमा 30 दिन और आवासीय के लिए सात दिन का समय तय किया है। हालांकि, कई नक्शे कुछ घंटे के भीतर भी पास किए जा रहे हैं। ऐसे में एमडीडीए में अभियंताओं के पास लंबित नक्शों की समय सीमा भी कलर कोडिंग में कम कर दी है और एक-दो दिन में ही फाइलों को रेड कैटेगरी में डाल दिया जा रहा है। ऐसे में पहले ही ओटीएस के लंबित प्रकरणों के बीच अभियंताओं पर सामान्य नक्शों को कम समय के भीतर पास करने का दबाव बढ़ गया है।
अवर अभियंताओं के पास लंबित प्रकरण
- विनोद चौहान, 72 नक्शे लंबित, 21 नक्शे एक दिन पुराने।
- पीएन बहुगुणा, 65 नक्शे (सभी ओटीएस वाले)
- राजेंद्र बहुगुणा, 62 नक्शे लंबित, इसमें 58 ओटीएस के। शेष 03 दिन से कम अवधि के।
- शैलेंद्र सिंह राणा, 32 नक्शे लंबित, सभी एक दिन की अवधि के।
- विनीत रस्तोगी, 20 नक्शे लंबित, 19 नक्शे एक दिन की अवधि के।
- प्रेम पाल, 16 नक्शे लंबित, 14 एक दिन की अवधि के।
- प्रमोद मेहरा, 13 नक्शे एक दिन की अवधि वाले।
- महिपाल सिंह अधिकारी, 04 नक्शे लंबित, 03 एक दिन की अवधि वाले।