जानिए क्यों मील के पत्थर की तरह है सिर्फ महिलाओं की स्पेसवॉक
नासा की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना और जेसिका ने बीते सप्ताह आइएसएस के बाहर स्पेसवॉक कर इतिहास रचा है। उनका मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत करना था। इस स्पेसवॉक को अंतरिक्ष के इतिहास में मील का पत्थर कहा जा रहा है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब केवल महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने इसे किया हो। साथ ही यह स्पेसवॉक कई तरह की परेशानियों और कई असफल प्रयासों के बाद हो पाई है।
पहली बार क्या हुआ था
गत 18 अक्टूबर को हुई स्पेसवॉक पहले इस वर्ष 29 मार्च को होनी थी। नासा के अनुसार, क्रिस्टीना कोच के साथ एनी मैकक्लेन उस अभियान का हिस्सा थीं। हालांकि, मैकक्लेन के लिए आइएसएस में उपयुक्त स्पेससूट ना होने की वजह से उस समय उसे टाल दिया गया था। मैकक्लेन ने अपनी इससे पहले की स्पेसवॉक के बाद बताया था कि उनके लिए स्पेससूट का ऊपरी हिस्सा मीडियम साइज का होना चाहिए, जबकि आइएसएस में बड़ा साइज मौजूद था। इसलिए वह सूट फिर निक ह्यूज को दे दिया गया था। स्पेसवॉक से पहले स्पेससूट को अंतरिक्षयात्री के शरीर में फिट होना जरूरी होता है। नासा की प्रवक्ता स्टेफनी शियरहोलज इस बारे में बताया था कि एक स्पेससूट को सुरक्षित रूप से स्पेसवॉक के लिए तैयार करने में 12 घंटे का समय लगता है और उसे पहनने में 45 मिनट लगते हैं। 27 मार्च को मैकक्लेन ने ट्वीट किया था कि सिर्फ महिलाओं की स्पेसवॉक को टाल देने का फैसला उनकी सिफारिश पर आधारित था। मिशन और चालक दल की सुरक्षा सबसे पहले है। हमें ऐसे जोखिम को कभी नहीं स्वीकारना चाहिए। हालांकि, मैकक्लेन बाद में दूसरी स्पेसवॉक पर गई थीं।
स्पेससूट की कमी बना था बड़ा मुद्दा
सिर्फ महिलाओं की स्पेसवॉक रद होने के बाद महिलाओं के लिए मीडियम साइज के स्पेससूट की कमी एक बड़ा मुद्दा बन गई थी। चारों तरफ से नासा की आलोचना की गई थी, जबकि नासा को लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील माना जाता है। 2013 के आइएसएस के स्टाफ में 50 फीसद महिलाएं थीं। हालांकि, यह भी सच है कि कई महिलाओं ने नासा में महिलाओं के लिए सही स्पेससूट की कमी महसूस की।
राजनीतिज्ञ भी हुए थे मुखर
जब सिर्फ महिलाओं की पहली स्पेसवॉक रद की गई और स्पेससूट इसकी वजह बना तो राजनीतिज्ञ भी इस मामले में मुखर हुए थे। हिलेरी क्लिंटन ने ट्वीट किया था, ‘दूसरे सूट बनाइए’, जबकि ब्रिटिश राजनेता एमेलिया वोमैक ने ट्वीट किया था, ‘जब दुनिया पुरुषों के आसपास बनी होती है तो महिलाएं कैसे चूक जाती हैं।’ ह्यूगो अवॉर्ड से सम्मानित लेखिका मैरी रोबिनेट कोवल ने ट्वीट किया कि ‘नासा में छोटे, मध्यम, बड़े और अतिरिक्त बड़े सूट हुआ करते थे। बजट कारणों से छोटे और अतिरिक्त बड़े सूट हटा दिए गए। हालांकि, कई पुरुष अंतरिक्ष यात्री बड़े सूट में फिट नहीं हो सके तो अतिरिक्त बड़े सूट को फिर से लाया गया, लेकिन छोटे सूट कभी नहीं आए।’
किन हिस्सों से मिलकर बनता है स्पेससूट
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से बाहर काम करने के लिए एक स्पेससूट पहना जाता है। इसे एक्स्ट्रा वेहिकुलर मोबिलिटी यूनिट (ईएमयू) भी कहते हैं। स्पेससूट अंतरिक्ष यात्रियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। साथ ही यह उन्हें अत्यधिक तापमान, विकिरण और अंतरिक्ष धूल से भी सुरक्षा प्रदान करता है। एक स्पेससूट में ऊपरी धड़, निचला हिस्सा, दस्ताने जैसे अलग-अलग घटक होते हैं जो विभिन्न आकारों के होते हैं और अंतरिक्ष यात्री के हिसाब से उनका संयोजन किया जाता है। इस तरह एक स्पेससूट बनता है। मैकक्लेन के मामले में यह था कि स्पेससूट का ऊपरी हिस्सा फिट नहीं आ रहा था। स्पेससूट महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नहीं बनाए जाते हैं। वर्तमान में उपयोग किए जा रहे स्पेससूट 1974 में विकसित किए गए थे। ये कई बार उपयोग में लाए जा सकते हैं साथ ही पिछले चार दशकों में इनको कई बार अपग्रेड भी किया जा चुका है।
नासा ने हाल ही विकसित किया है नई तकनीक का सूट
स्पेससूट की फिटिंग को देखते हुए नासा ने हाल में नई तकनीक का सूट विकसित किया है। गत 15 अक्टूबर को नासा की स्पेससूट इंजीनियर क्रिस्टीन डेविस ने एक्सट्रा वेहिकुलर मोबिलिटी यूनिट (एक्सईएमयू) सूट को प्रदर्शित किया था। इसके साथ ही एक अन्य सूट ‘ओरियन क्रू सर्वाइवल’ को भी प्रदर्शित किया था। रियन सूट अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पहनने के लिए था, जबकि एक्सईएमयू सूट आइएसएस के बाहर स्पेसवॉक और चांद की सतह पर चहलकदमी के लिए है। इन सूट की खासियत यह है कि ये सभी साइज के अंतरिक्षयात्रियों को फिट हो जाते हैं। इन सूट को नासा 2024 में अपने आर्टेमिस मिशन के दौरान उपयोग में लाएगा।