अगर नहीं है बहन तो आप इनसे बंधवा सकते हैं रक्षासूत्र, जानिए पूरी कथा
सावन के महीने में राखी का त्यौहार मनाया जाता है. राखी का पर्व इस बार 3 अगस्त को मनाया जाने वाला है. ऐसे में कई लोग हैं जिनकी बहन नहीं होती है. अब आज हम ऐसे लोगों को बताने जा रहे हैं कि वह किनसे राखी बंधवा सकते हैं. जी दरअसल अगर आपकी बहन नहीं है तो आप चचेरी, ममेरी, फूफेरी एवं मुंह बोली बहन से राखी बंधवा सकते है. लेकिन अगर यह भी नहीं है तो आप सावन की पूर्णिमा को शुभ आशीर्वाचन के लिए पुरोहित, पत्नी, गुरु, पिता से भी राखी बंधवा सकते हैं.
जी हाँ, दरअसल पुराने समय से आज तक समाज में पुरोहित हर किसी के कलावा अर्थात रक्षासूत्र बांधते आ रहे हैं. वहीं कहा जाता है पुराने समय में सावन पूर्णिमा के दिन पुरोहित राजा और समाज के वरिष्ठ घरो में रक्षासूत्र बांधा करते थे. वैसे इसके पीछे एक उद्देश्य होता था जो यह था कि ये समाज के सभी वर्गों की रक्षा करेंगे. वहीं आप जानते ही होंगे आज भी घर पर किसी के भी पूजा-पाठ होता है तो पंडित घर में मौजूद सभी सदस्यों के कलावा बांधते हैं. इसके अलावा आजकल राखी का पर्व मनाया जाता है. इसी के कारण अगर आपकी बहन नहीं है तो आप अपनी पत्नी से भी राखी बंधवा सकते हैं. जी दरअसल इसकी शुरुआत बहुत पहले हो गई थी.
भविष्य पुराण को माने तो देवराज इंद्र को उनकी पत्नी शचि ने रक्षासूत्र बांधा था. वैसे इस बारे में एक कथा भी है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. इस कथा के अनुसार, वृत्रासुर नाम का एक राक्षस अपने साहस के दम पर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था. वह किसी से पराजित नहीं हो सकता था इसलिए देवराज इंद्र कई बार उससे हार गए थे. तब देवराज को महर्षि दधीचि के शरीर की हड्डियों से बना वज्र मिला और कसम खाई कि इस बार वीरगति प्राप्त करेंगे या फिर विजयी होंगे. इस सुनकर देवराज की पत्नि शची व्याकुल हो गईं और उन्होंने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र बनाया और वह इंद्र की कलाई पर बांध दिया. जिस दिन वह रक्षासूत्र बांधा था, उस दिन सावन पूर्णिमा थी. इसके बाद वह युद्ध में गए और विजयी हुए. इसके बाद देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को यह रक्षासूत्र बांधा था.