दिल्ली सरकार के स्कूलों में खत्म हो चुके प्रधानाचार्य के 126 पदों को एलजी ने दी मंजूरी…
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सरकारी स्कूलों में प्रधानाध्यापकों और उप शिक्षा अधिकारियों के 126 पदों को बहाल करने की मंजूरी दे दी है। राजनिवास के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि प्रधानाध्यापकों और उप शिक्षा अधिकारियों के यह पद पिछले दो साल से अधिक समय से खाली पड़े थे। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एलजी ने शहर के शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित प्राचार्यों और उप शिक्षा अधिकारियों के 244 पदों को समाप्त करने के प्रस्ताव को रोक दिया है। ये पद भी पांच साल से अधिक समय से खाली पड़े थे। AAP ने इसे दुष्प्रचार बताया है।
उपराज्यपाल ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह सेवा विभाग द्वारा बताए गए व्यापक अध्ययन के बाद इस प्रस्ताव को भेजें। सूत्रों के अनुसार, सरकारी नियम में दो साल से अधिक समय से खाली पड़े पदों को समाप्त कर दिया, माना जाता है और पांच साल से अधिक समय से खाली पड़े पदों को समाप्त माना जाता है। भर्ती नियमों के अनुसार, शिक्षा निदेशालय द्वारा वर्ष 2013-14 से 2019 तक भर्ती नियमों के तहर इन 370 पदों (126 माने गए समाप्त पद और 244 समाप्त पद) को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाना था। इनमें से कोई भी पद पदोन्नति के माध्यम से नहीं भरा गया।
प्रधानाचार्य के 244 पदों को समाप्त करने के प्रस्ताव को लेकर सेवा विभाग ने एआर विभाग को एक व्यापक अध्ययन करने की सलाह दी थी। सेवा विभाग की टिप्पणियों के बावजूद शिक्षा निदेशालय ने प्राचार्यों के 244 पदों को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। इन पदों को खत्म करने से उन लोगों में नाराजगी फैलने की संभावना है जो पदोन्नति पाकर इन पदों को भर सकते हैं।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूलों के 126 प्राधानाचार्यों के पदों को पुनः सृजित करने के उपराज्यपाल कार्यालय के दावे को खारिज किया। उन्होंने एलजी दफ्तर के दावे को झूठ करार देते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने व्यापक अध्ययन का बहाना बनाकर सरकारी स्कूलों के 244 प्रधानाचार्यों के पदों की बहाली रोकी दी। सिसोदिया ने कहा कि हर स्कूल को एक प्रधानाचार्य की जरूरत होती है और अगर कोई पद खाली है तो उसे जरूरत का अध्ययन करने के बजाय भरा जाना चाहिए। एलजी श्रेय लेने के बजाय फाइलों को सार्वजनिक करें और समझाएं कि प्रधानाचार्यों की नियुक्ति में देरी क्यों कर रहे हैं?